हिमाचल में नियमितीकरण की आस लगाए बैठे 2500 से ज़्यादा एसएमसी अध्यापकों को सरकार ने झटका दिया है। सरकार ने साफ़ तौर पर कह है कि इनके नियमितीकरण की अभी कोई योजना नहीं है। मामला सदन में पूर्व वीरभद्र सिंह, विनय कुमार, हर्षवर्धन चौहान सहित किशोरी लाल ने प्रश्नकाल में उठाया गया। जवाब में शिक्षा मंत्री गोविंद ठाकुर ने बताया कि सरकार ऐसा कोई विचार नहीं रखती है।
वर्ष 2012 में एसएमसी शिक्षकों की नियुक्तियों के लिए पॉलिसी बनाई गई थी। प्रदेश के दुर्गम और जनजातीय क्षेत्रों में 250 शिक्षकों को नियुक्त किया गया था। वर्ष 2017 तक भाजपा और कांग्रेस की सरकारों ने भर्तियां जारी रखीं। प्रदेश में एसएमसी की संख्या 2555 है। जून 2019 में नियुक्तियों को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर कर चुनौती दी गई।
अगस्त 2019 में शिक्षा विभाग ने नई भर्ती पर रोक लगाई। रोक लगाने के बावजूद इन शिक्षकों को सेवाविस्तार दिया गया। 14 अगस्त 2020 को हाईकोर्ट ने नियुक्तियां रद करने का फैसला सुनाया है। अब यह मामला सुप्रीमकोर्ट में विचाराधीन है। सरकार ने फ़िलहाल कोर्ट के आदेशों के बाद एसएमसी शिक्षकों की सेवाओं को जारी रखा है। बजट सत्र में एसएमसी अध्यापकों के मानदेय में 500 रुपए की वृद्धि की गई है। शिक्षा मंत्री ने बताया कि सर्वोच्च न्यायालय जो भी निर्देश देगा उसके ऊपर आगे काम किया जाएगा।