दैनिक अख़बार का हवाला देते हुए पूर्व मंत्री जीएस बाली ने सरकार पर निशाना साधा। जीएस बाली ने आरोप लगाया कि सरकार के मंत्री अधिकारियों के बहकावे सही से काम नहीं कर रहे हैं। पोस्ट का हवाला देते हुए उन्होंने लिखा कि 'अगर ये सच है तो सच मे दुखद और चिंतनीय है कि कैसे लोगों के हाथों में प्रदेश की बागडोर है। अधिकारी कैसे नियम तय कर रहे हैं और कैसे मंत्री आंख बंद करके उनपर अपनी सहमति जता रहे हैं। यह दिखाता है कि प्रदेश में सरकार नाम की कोई संस्था है ही नहीं।
पंखा मिला का क्या मतलब है? अगर पंखे से बीपीएल तय करना है तो एकमुश्त प्रदेश के निचले इलाकों में लोगों को बीपीएल से बाहर कर दो। पंखा ढूंढने की जरूरत क्या है ? जबकि पंखा गर्मियों में हर घर की जरूरत है और लगभग निचले हिमाचल के हर घर में है। नकारी सरकार का इससे बड़ा उदाहरण और क्या होगा? शिमला की ठंडक में बैठी सरकार शायद भूल गई है कि प्रदेश में पंखे भी लोगों की जरूरत हैं।'
ग़ौरतलब है कि आज के दौर में गर्मी ज्यादा बढ़ रही है। बर्फबारी और बारिश कम होने से हिमाचल के नदी नाले में भी सूखने लगे हैं। ऐसे में आधे से ज्यादा हिमाचल के जिलों में पंखें की जरूरत कई सालों से पड़ रही हैं। अब तो ऊपरी इलाकों में भी गर्मी के मौसम में पंखें की जरूरत पड़ने लगी हैं। ऐसे में पंखे देखकर बीपीएल का आधार पता करना, समझ से परे है।