हिमाचल प्रदेश में गर्मी का मौसम शुरू होते ही पानी के लिए लोग तरसने लगे हैं। राजधानी शिमला के लोगों को पानी की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है। राजधानी शिमला के उप नगरों में अभी से पानी की राशनिंग शुरू कर दी गई है। ये समस्या आईपीएच विभाग द्वारा दिए जा रहे पानी वाले क्षेत्रों में आ रही है। नगर निगम शिमला से बाहर पड़ने वाले टूटू, मंझयाठ, पंथाघाटी ,चक्कर, भराड़ी और कसुम्पटी आदि के क्षेत्रों में 5 से 6 दिन छोड़कर पानी दिया जा रहा है।
नगर निगम के बाहर वाले क्षेत्रों की हालत दयनीय है। यह क्षेत्र टीसीपी के अंदर तो आते हैं लेकिन सुविधाओं के नाम पर ऐसे क्षेत्रों में पानी जैसी मूलभूत सुविधा सही ढंग से नही है। मंझयाठ निवासी सुरेंद्र वर्मा का कहना है कि उनके नलों में 5 से 6 दिन बाद पानी आ रहा है। इसलिए उनको पानी के लिए इधर उधर भटकना पड़ रहा है। ऐसे में अभी से यदि ऐसे हालात हैं तो गर्मियों में क्या होगा ? उनका इलाका ग्रामीण क्षेत्र में आता है इसलिए परिवार के साथ पशुओं के लिए भी पानी की अधिक जरूरत रहती है।
उधर शिमला जल प्रबंधन ने भी इन क्षेत्रों ने पानी देने से मनाही कर दी है। उसकी वजह ये है कि शिमला शहर के लिए हर दिन जो पानी 40 एमएलडी से ऊपर आ रहा था वह घटकर 35 एमएलडी तक पहुंच गया है। इतने पानी से शहर का ही गुजारा हो पा रहा है ऐसे में निगम क्षेत्रों से बाहर पानी देना मुश्किल है। वैसे भी इस बार शिमला सहित हिमाचल में 60 फ़ीसदी कम बारिश हुई है। सूखे के हालातों के चलते आने वाले गर्मियों के दिनों में पानी की क़िल्लत लोगों के लिए परेशानी का सबब बन सकती हैं।