राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) द्वारा वर्ष 2020-21 में कृषि और ग्रामीण क्षेत्र के विकास के लिए 3350 करोड़ के करीब का वित्तीय परिचालन किया गया है। कोरोना संकट के बावजूद ये राशि पिछले वर्ष के मुकाबले 88% ज्यादा राशि जारी की गई है। जिनमे कृषि परिसंपत्तियों के लिए फसली ऋण और निवेश ऋण के लिए बैंको को 2506 करोड़ की राशि जारी की गई है।
शिमला में एक पत्रकार वार्ता में नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक दिनेश रैना ने बताया कि "गांव बढे तो देश बढे " के विचार के चलते नाबार्ड द्वारा राज्य मे कृषि और ग्रामीण क्षेत्र के विकास के साथ ही आदिवासी विकास, जलवायु परिवर्तन, वाटर शेड विकास, नवीन कृषि क्षेत्र और स्वयं सहायता समूह जैसे क्षेत्रों को प्राथमिकता दी जा रही है। उन्होंने बताया कि कोरोना के इस समय में नवाचार के विभिन्न तरीकों से विकास को गति दी जा रही है। जिसमें कृषि उत्पाद की बिक्री के लिए ई-नाम और स्वयं सहायता समूह के पारदर्शी संचालन के लिए ई- शक्ति कार्यक्रम चलाए जा रहे है।
उन्होंने बताया कि ई -शक्ति कार्यक्रम के तहत प्रदेश के 12 हजार स्वयं सहायता समूह लाए गए जिससे इनका पारदर्शी संचालन संभव हुआ और इसी कारण इन समुहों को बैंको से 90% तक फंडिंग हो गई है। दिनेश रैना ने बताया कि चालू वित्त वर्ष मे कृषि उत्पाद और किसान उत्पादक संगठन को बढ़ावा देने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं।