हिमाचलवासियों के लिए अब हीमोफिलिया का उपचार फ्री हो गया है। पीजीआई के तर्ज पर अब हिमाचल के आईजीएमसी और टांडा मेडिकल कालेज में भी हिमोफीलिया के मरीजों को सुविधा मिलनी शुरू हो गई है। हीमोफीलिया से पीडि़त मरीजों के लिए यह एक राहत भरी खबर है। आईजीएमसी व टांडा में मरीजों का निशुल्क इलाज होना शुरू हो गया है। हिमोफिलिया मरीजों की अगर बात की जाए तो एक मरीज को स्वस्थ होने के लिए 9 से 10 लाख रूपए खर्च करना आता है लेकिन अब यह सारा खर्च सरकार उठाएगी। यह स्कीम प्रदेश सरकार ने लागू की है।
क्या है हीमोफिलिया
पैतृक रक्तस्राव या हीमोफिलिया एक आनुवांशिक बीमारी है जो आमतौर पर पुरुषों को होती है और औरतों द्वारा फैलती है। हीमोफीलिया आनुवंशिक रोग है, जिसमें शरीर के बाहर बहता हुआ रक्त जमता नहीं है। इसके कारण चोट या दुर्घटना में यह जानलेवा साबित होती है क्योंकि रक्त का बहना जल्द बंद नहीं होता। विशेषज्ञों के अनुसार इस रोग का कारण एक रक्त प्रोटीन की कमी होती है। जिसे श्क्लॉटिंग फैक्टरस कहा जाता है। इस फैक्टर की विशेषता यह है कि यह बहते हुए रक्त के थक्के जमाकर उसका बहना रोकता है।
चिकित्सकों का मानना है कि एक थेरेपी के लिए कम से कम डेढ़ लाख रूपए लगते है। अब थैरेपी समेत दवाईयां भी प्रशासन की तरफ से निशुल्क मिलेगी। मरीज को इसके लिए आधार कार्ड या फिर हिमाचली बोनोफाईड साथ लाना होगा। अगर किसी मरीज का हिमोफोलिक सोसायटी में नाम दर्ज है तो वह मरीज भी उपना इलाज करवा सकते है। हिमोफिलिया से पीड़ित गरीब लोगों को इसका सबसे ज्यादा फायदा होगा।