इंदौरा पुलिस की क्राइम ब्रांच ने दवा फैक्ट्री संचालक डॉ. विनय शंकर को 400 नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन के साथ गिरफ्तार किया है। रिपोर्ट के मुताबिक जब्त इंजेक्शन लगाने से इंसान की जान भी जा सकती है। आरोपित डा. विनय शंकर कांगड़ा जिले के उपमंडल इंदौरा के तहत सूरजपुर स्थित अपनी ट्यूलिप प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में खुद नकली इंजेक्शन बनाता था। पेंटाजोल टेबलेट बनाने वाली इस कंपनी ने मार्च 2020 में लॉकडाउन लगने के बाद उत्पादन बंद कर दिया था और कर्मचारियों को छुट्टियां दे दी थी। कंपनी में दो स्थानीय लोग देखभाल के लिए रखे गए थे।
अगस्त 2020 तक आरोपित डा. विनय करीब 20 बार कंपनी में अकेला आया और बंद कमरे में काम करता था। इस दौरान उसने नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन भी तैयार किए। स्थिति सामान्य होने के बाद दिसंबर के बाद फैक्टरी में दोबारा उत्पादन शुरू हो गया था। आरोपित डा. विनय ने अगस्त से नवंबर के बीच जरूरत के हिसाब से रेमडेसिविर इंजेक्शन तैयार कर लिए थे। उसने अपनी फैक्टरी के प्रबंधक पिंकू के माध्यम से अतिरिक्त ड्रग नियंत्रक आशीष रैणा के पास इंजेक्शन बनाने के लिए आवेदन किया। अधिकारी ने तर्क दिया कि इस इंजेक्शन की स्वीकृति स्वास्थ्य मंत्री व केंद्र सरकार देती है। स्वीकृति न मिलने के बाद आरोपित ने अपने स्तर पर नकली इंजेक्शन मध्य प्रदेश पहुंचा दिए ।
मामले की पुष्टि करते हुए अतिरिक्त ड्रग नियंत्रक आशीष रैणा ने बताया कि मामला सामने आने के बाद उन्होंने ड्रग इंस्पेक्टर धर्मशाला प्यारे लाल और पुलिस थाना डमटाल की टीम के साथ सूरजपुर स्थित कंपनी में दबिश की। इस दौरान रेमडेससिवरि इंजेक्शन तो नहीं मिले लेकिन टीम को यहां कई अनियमितताएं मिली हैं। इस कारण से उक्त फैक्टरी में उत्पादन बंद कर दिया गया है।
वहीं, डीसी कांगड़ा राकेश कुमार प्रजापति ने कहा कि विनय की गिरफ्तारी के बाद अतिरिक्त दवा नियंत्रक को मामले की जांच के लिए कहा गया है। उन्होंने खुद वीरवार शाम को पुलिस टीम के साथ जाकर कंपनी में जांच की थी।