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मंडीः चौंतड़ा के देवराज भारती ने प्राकृतिक खेती से जुडक़र लिख डाली सफलता की कहानी

पी. चंद |

कहते हैं कि यदि दिल से कुछ कर गुजरने की तमन्ना हो तो न उम्र, न संसाधनों का अभाव, न ही जीवन में असफल होने का डर आगे बढऩे से रोक पाता है। बल्कि धुन के पक्के ऐसे लोग तमाम सुविधाओं और किंतु परन्तु को दर किनार कर कड़ी मेहनत के दम पर जहां निर्धारित लक्ष्य को आसानी से प्राप्त कर लेते हैं तो वहीं दूसरों के लिए प्रेरणास्त्रोत भी बन जाते हैं। ऐसी ही कुछ कहानी है मंडी जिला के चौंतड़ा विकास खंड के अंर्तगत ग्राम पंचायत पस्सल के गांव डमेहड़ के 72 वर्षीय प्रगतिशील किसान देव राज भारती की। जिन्होंने मात्र तीन वर्षों की अथक मेहनत और प्रयास के दम पर सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती को अपनाकर सफलता की कहानी लिख डाली है। इनकी यह उपलब्धि आज पूरे जोगिन्दरनगर क्षेत्र ही नहीं बल्कि प्रदेश के लाखों किसानों के लिए प्रेरणास्त्रोत भी बन गई है।

पेशे से भाषा अध्यापक रह चुके 72 वर्षीय देवराज भारती ने लगभग साढ़े पांच बीघा जमीन को सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती के तहत न केवल पूरी तरह से जहरमुक्त बना दिया है बल्कि उनके निरंतर प्रयासों से प्राकृतिक खेती अब फायदे का सौदा साबित होने लगी है। इस संबंध में देवराज भारती से चर्चा की तो उनका कहना है कि वर्ष 2018 में कृषि विभाग की आत्मा परियोजना के माध्यम से सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती को अपनाने का निर्णय लिया। शुरू में उन्हे कई दिक्कतों का सामना करना पड़ा लेकिन विभागीय अधिकारियों के निरंतर मार्गदर्शन एवं आगे बढऩे की हिम्मत ने आज उन्हें एक सफल किसान बना दिया है। उन्होंने बताया कि प्राकृतिक खेती से जुडऩे को राजस्थान के गंगा नगर कस्बे से एक थार पारकर स्वदेशी नस्ल की गाय लेकर आए हैं जिस पर सरकार ने उन्हेम 25 हजार रूपये का उपदान एवं पांच हजार रूपये टांस्पोर्टेशन चार्जेज दिये हैं। सिंचाई के लिए टयूबवैल स्थापित किया है। इनका कहना है कि जमीन में अब केंचुआ आ गया है और जमीन पूरी तरह से रसायनमुक्त हो चुकी है।

साढ़े पांच क्विंटल मटर एवं 30 किलो धनिया तैयार कर बेचा, लगभग 12 हजार की हुई आमदन

देवराज भारती ने बताया कि इस वर्ष उन्होने लगभग एक बीघा जमीन में मटर और धनिया की खेती की जिससे लगभग साढ़े पांच क्विंटल मटर और 30 किलोग्राम हरा धनिया तैयार हुआ। जिससे लगभग 12 हजार रूपये की शुद्ध आमदन हुई है। इसके अलावा देसी किस्म की गेंहू की फसल भी लगभग तैयार है। साथ ही मस्सर और चना दालों की भी बिजाई की है जिनके परिणाम भी बेहतर आ रहे हैं। इसके अतिरिक्त खेतों में फूल गोभी, अरबी, मूली, आलू, अदरक इत्यादि की भी बिजाई कर रहे हैं जिनके परिणाम भी अच्छे आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि यह सब पूरी तरह देसी गाय के गोबर व गोमूत्र से तैयार घन जीवामृत, जीवमृत और बीजामृत के उपयोग से ही संभव हो पाया है। सभी तरह के उत्पाद पूरी तरह से प्राकृतिक तौर पर तैयार किये जा रहे हैं।
 
इसके अलावा उन्होने संसाधन भंडार भी स्थापित किया है जहां से आसपास के किसान मामूली दरों पर प्राकृतिक तौर पर तैयार घनजीवामृत, जीवामृत एवं बीजामृत प्राप्त कर सकते हैं। संसाधन केंद्र से ही उन्हें लगभग 10 हजार रूपये की आय प्राप्त हो चुकी है। साथ ही बताया कि गाय शैड निर्माण को सरकार ने 8 हजार रूपये की आर्थिक मदद की है। प्राकृतिक खेती की व्यापक जानकारी लेने को वर्ष 2020 में हरियाणा के कुरूक्षेत्र स्थित गुरूकूलम में भी तीन दिन का प्रवास कर चुके हैं। उन्होंने ज्यादा से ज्यादा किसानों से सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती से जुडऩे का आह्वान किया ताकि जहां हमारी फसलों को जहरमुक्त बनाया जा सके तो वहीं खाद्यान्नों की गुणवत्ता भी बढ़ सके। इससे न केवल व्यक्ति शरीरिक और मानसिक तौर पर स्वस्थ रहेगा बल्कि गंभीर बीमारियों से बचाव होगा।  

तैयार फसल बेचने एवं देसी नस्ल की गाय को लेकर आ रही दिक्कतें, सरकार से मांगा उचित सहयोग

बकौल देवराज भारती का कहना है कि प्राकृतिक तौर पर तैयार फल, सब्जियां व अन्न इत्यादि को बेचने के लिए किसानों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इस दिशा में सरकार कुछ ऐसे कदम उठाए जिससे न केवल उनके यह तैयार उत्पाद आसानी से बिक जाएं बल्कि लोगों को भी इनका लाभ मिल सके। इसके अलावा देसी नस्ल की गाय खरीदने में भी किसानों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है इस संबंध में भी सरकार उचित कदम उठाये ताकि किसानों को गुणवत्तायुक्त देसी गाय की आसानी से उपलब्धता हो सके।

क्या कहते हैं अधिकारी

जब इस बारे आत्मा परियोजना के खंड तकनीकी प्रबंधक (बी.टी.एम.) चौंतड़ा सुनील कुमार से बातचीत की तो इनका कहना है कि वर्ष 2018 में देवराज भारती सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती के साथ जुड़े और वे अब एक सफल किसान बन चुके हैं। उन्होने बताया कि 66 किसानों से शुरूआत करते हुए वर्तमान में चौंतड़ा ब्लॉक के अंतर्गत लगभग 18 से 19 सौ किसानों को प्राकृतिक खेती से जोडऩे का प्रयास हुआ है। घनजीवामृत, जीवमृत एवं बीजामृत उपलब्ध करवाने के लिए 16 संसाधन भंडार स्थापित किये हैं जिनके माध्यम से किसान 5 रूपये किलो देसी गाय का गोबर, दो रूपये प्रति लीटर जीवामृत और गोमूत्र आठ रूपये प्रति लीटर की दर से प्राप्त कर सकते हैं। इसके अलावा देसी गाय खरीदने, गाय का शैड बनाने एवं प्लास्टिक का ड्रम खरीदने के लिए भी सरकार सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती को अपनाने के लिए किसानों को उपदान मुहैया करवा रही है।