प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शान्ता कुमार ने कहा है कि इतिहास की किसी भी बड़ी से बड़ी विपत्ति के मुकाबले आज का कोरोना संकट सबसे बड़ा है। पूरे विश्व में हाहाकार मची है। टीवी देखना और अख्बार पढ़ना कठिन हो गया है। इस प्रकार की भयंकर परिस्थिति में राजनैतिक नेताओं की एक दूसरे पर तीखी कड़वी अलोचना मुझे कोरोना से भी अधिक दुखी करती है। यह आलोचना का समय नहीं, सहयोग का समय है। गलतियां हुईं होगी और सबसे होती है। लेकिन उन पर कड़वी आलोचना बहुत बड़ा पाप है।
इससे जनता का मनोबल टूटता है। आज की स्थिति में मनोबल सबसे अधिक आवष्यक है। शान्ता कुमार ने सभी दलों के नेताओं से आग्रहपूर्वक निवेदन किया है कि परस्पर आलोचना बिलकुल बन्द कर दीजिए। यदि सरकार में कोई कमी है तो उसे एक सुझाव के रूप में सरकार को बतायें। वही बात भाषा बदलेगी तो भाव बदल जाएगा। मिठास आयेगी कड़वाहट समाप्त हो जाएगी।
उन्होंने कहा कि राजनीति में मेरे आदर्ष अटल बिहारी वाजपेयी जी रहे है। वे बार-बार कहते थे कि दलों की दीवारें बहुत छोटी होती है। लेकिन राष्ट्र का मंदिर बहुत ऊंचा होता हैं। बगंलादेश के युद्ध में भाजपा ने खुल कर सरकार की मदद की। यहां तक कि अटल जी ने इन्दिरा गांधी जी को दुर्गा तक कह दिया। बाद में पार्टी के भीतर इस पर आलोचना भी हुई थी। आज का कोरोना संकट बंगला युद्ध से कम नहीं है। उससे बहुत अधिक बड़ा है।
शांता कुमार ने सभी से आग्रहपूर्वक निवदेन किया है कि कोई किसी की आलोचना न करे, सहयोग दें। सरकार पर जिम्मेदारी अधिक है, वे सावधान रहे। कोई ऐसा काम न करे कि विपक्ष को आलोचना का मौका मिले और मेरे जैसे लोग चुप रह कर दुखी होते रहे। सरकार को गरीब दुखियों की सहायता करनी है। सरकार कर रही है। जयराम ठाकुर बहुत अच्छे तरीके से सरकार का संचालन कर रहे है। सरकार को साधन चाहिए। मुझे विश्वास है प्रदेश के सभी कर्मचारियों ने कटौती पर बिलकुल बुरा नहीं मनाया होगा। विधायकों को भी आगे आना चाहिए। उन्होंने प्रदेश की जनता से भी अपील की है कि अपना सामर्थ्य अनुसार सरकार की आर्थिक सहयोग अवश्य दें।