हिमाचल प्रदेश की जेलों और उनमें बंद कैदियों को सुधारने में डी.जी जेल सोमेश गोयल का अतुलनीय योगदान रहा है। चाहे फिर वह प्रदेश की जेलों को हाईटेक करना हो या अपने गुनाहों की सजा काट रहे कैदियों को स्वरोजगार से जोड़ना हो । ये बात आज लाला लाजपतराय जिला कारागार धर्मशाला में उप अधीक्षक जेल विकास भटनागर ने डीजी जेल के 30 अप्रैल को सेवानिवृत्त होने के चलते आयोजित मीटिंग में कही। धर्मशाला जेल में आयोजित मीटिंग के दौरान उप-अधीक्षक जेल विकास भटनागर ने कहा कि डी.जी जेल सोमेश गोयल 1984 के सबसे सीनियर आई.पी.एस. ऑफिसर हैं, जिन्होंने 2015 से लेकर अप्रैल 2021 तक डी.जी जेल पद पर अपनी सेवाएं दी हैं।
हालांकि इससे पहले डी.जी जेल सुमेश गोयल आई.जी वेस्ट बंगाल, डी.आई.जी. जम्मू कश्मीर, एस.पी.जी. प्राइम मिनिस्टर सिक्योरिटी में रहने के बाद डी.जी जेल हिमाचल ने कमांडो सहित अन्य विभिन्न पदों पर भी अपनी सेवाएं दी हैं। इतना ही नहीं 1984 से अपने कार्यकाल में विभिन्न पदों पर उत्कृष्ट कार्य के लिए डी.जी जेल सोमेश गोयल ने कई पुरस्कार अपने नाम किए हैं। विकास भटनागर का ये भी कहना है कि पहले अंग्रेजों के समय बनी प्रदेश की जेलें कैदियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए न के बराबर थी। लेकिन आज अगर प्रदेश की तमाम जेलों की बात की जाए तो उन्हें हाईटेक बना दिया गया है। इतना ही नहीं प्रदेश की जेलों में खल रही कर्मचारियों की कमी को भी दूर किया गया है।
इसके अतिरिक्त डी.जी जेल सोमेश गोयल द्वारा प्रदेश में 5 नई जेलें नालागढ़ की जेल, कल्पा, कुल्लू, मंडी और रामपुर में नई जेलों का निर्माण करवाया है। इसके साथ अगर में बंद कैदियों के प्रति लोगों के नज़रिए की बात करें तो उसे भी डी.जी जेल ने अपने प्रयासों से बदल दिया है। बताते चलें कि आज प्रदेश की जेलों में डी.जी सोमेश गोयल ने पहल करते हुए हर हाथ को काम, कार वॉशिंग, नर्सरी, बेकरी, डेयरी फार्म, कारपेंटर का काम, परिजनों से बात करने के लिए इंटरकॉम की सुविधा, कैंटीन सहित ओपन एअर जेल शुरू कर कैदियों को जेल से बाहर काम करने की सुविधा सहित कैदियों को समाज की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए उन्हें शिक्षा प्रदान करवाए जाने की पहल की है। जेल उप-अधीक्षक विकास भटनागर ने ये भी बताया कि आज धर्मशाला जेल की ओर से डी.जी जेल सुमेश गोयल के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस की गई, जिसमें उन्होंने जेल में स्थापित सोया मिल्क और टोफू यूनिट का उद्घाटन किया। इसके अतिरिक्त 30 अप्रैल को सेवानिवृत्त होने के चलते धर्मशाला जेल द्वारा डी.जी जेल को वर्चुअल फेयरवेल दी गई।