कोरोना के चलते हिमाचल प्रदेश में कुछ दिनों का लॉकडाउन काफी जरूरी हो गया है। आए दिन मामले बढ़ते ही जा रहे हैं और डेथ रेट में भी काफी इजाफा हुआ है। हालांकि सरकार ने कई जिलों में सख्तियां जरूर बढ़ाई हैं लेकिन वे सिर्फ नाम मात्र ही मालूम पड़ रही हैं। कई जगहों पर वीकेंड लॉकडाउन का भी कोई असर नहीं हो रहा है औऱ चेन टूटने का नाम नहीं ले रही। ऐसे में प्रदेश में अब लॉकडाउन एक तरह से जरूरी हो गया है।
राजनीतिक दल, बड़े नेता, व्यापार मंडल और अब तो डॉक्टर्स सहित भी कई लोग लॉकडाउन की बात कह रहे हैं। इसी बीच बात की जाए मिडल क्लास, रेहड़ी-फड़ी वाले औऱ गरीब लोगों की तो उन्हें कोरोना से ज्यादा चिंता उनकी माली हालत की है। उनकी ये चिंता भी पूरी तरह वाजिब है क्योंकि वे हर रोज कमाते हैं तभी उनका घर चलता है। कुछ दिनों का लॉकडाउन उनके घरों की रोजी एक तरह से बंद कर देता है। ऐसे में इन लोगों को कोरोना से ज्यादा चिंता अपनी आर्थिकी की है। ये लोग लॉकडाउन के लिए तैयार हैं लेकिन अगर सरकार कुछ मिनिमम सुविधाएं दे।
लिहाजा, ये बात प्रदेश सरकार, विधायकों औऱ नेताओं को भी अच्छे से मालूम है जिसके चलते अभी तक लॉकडाउन में विलंब किया जा रहा है। लेकिन ये विलंब जितना लंबा होगा उतनी ही प्रदेश में स्थिति ख़राब होने की पूर्ण संभावना बन चुकी है। ऐसे में अब कल 5 तारिख को होने वाली कैबिनेट में लॉकडाउन लगाने पर जरूर विचार होगा। इस फैसले से पहले सरकार, नेताओं और विधायकों को साथ ही साथ मिडल क्लास औऱ गरीब लोगों को सुविधाएं देने का विचार भी करना चाहिए। स्वास्थ्य सुविधाएं भी डगमगा रही हैं और कई जगहों पर सिलेंडर नहीं मिल रहे। इन सब बातों पर सरकार को गौर करने की जरूरत है। पिछले साल कोरोना काल में जो कोविड फंड जमा हुआ था उसे भी सार्वजनिक कर इस्तेमाल किया जा सकता है।