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बेजुबानों के लिए शिमला के दो युवक आगे आए, खाना खिलाने की मुहिम की शुरू

पी. चंद |

हिमाचल प्रदेश समेत राजधानी शिमला में कोरोना कर्फ्यू के चलते 3 घंटे ही ज़रूरी सामान की दुकानें ही खुल रही हैं। हॉटेल, रेस्टोरेंट और ढाबों को खोलने की इजाज़त तो है लेकिन इनमें ठहरने वाला कोई नहीं है। कर्फ्यू का असर इंसानी जीवन क साथ-साथ जानवरों और पशुओं पर भी पड़ रहा है। कर्फ्यू की वजह से शिमला के आवारा कुत्ते और बन्दर भी भूख से बिलख रहे है। क्योंकि बाज़ार खुले रहने से उनको कुछ न कुछ खाना मिल जाता था। लेकिन कर्फ्यू में उनको भी खाने के लाले पड़ गए है।

इसको देखते हुए शिमला के कुछ युवाओं ने शिमला के बन्दरो और कुत्तों का पेट भरने का बीड़ा उठाया है। इन युवाओं ने शिमला के ऐतिहासिक रिज मैदान में रोटियां बनाकर बंदरो और आवारा कुत्तों को खिलाने का काम शुरू किया है। इस काम में आगे आए युवक का कहना है की इंसान को भूख लगेगी तो वह मांग कर भी खा लेता है। लेकिन इन बेजुबानों के पास भूख से तड़पने के सिवाए कोई चारा नहीं होता है। इसलिए उन्होंने चपातियां बनाकर और बिस्किट खिलाने का काम शुरू किया है। जब तक कर्फ्यू रहेगा ये काम जारी रहेगा।