भाजपा के मुख्य प्रवक्ता रणधीर शर्मा ने कांग्रेस पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा द्वारा कांग्रेस पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखे पत्र से कांग्रेसी नेताओं की पोल खुल गई है। जेपी नड्डा के इस पत्र से कांग्रेस नेताओं की संवेदनहीनता, नकारात्मक दृष्टिकोण व संकुचित मानसिकता उजागर हुई है। पत्र के माध्यम से सोनिया गांधी को एहसास करवाया गया है कि कांग्रेस पार्टी के नेता कोरोना महामारी के इस संकट काल में भी गैरजिम्मेदाराना बयानबाजी कर जनता के बीच हास्य का पात्र बन रहे हैं।
रणधीर शर्मा ने कहा भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कोविड वैक्सीन पर कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व पर और कांग्रेसी सरकारों के दोहरेपन पर कांग्रेस पार्टी को आड़े हाथों लिया है। भारत में बनी कोविड-19 वैक्सीनेशन के बारे में जनता में भ्रम पैदा करने के लिए अन्य विपक्षी दलों के नेताओं के साथ-साथ कांग्रेस पार्टी के नेता भी जिम्मेदार है। जिस प्रकार से कांग्रेसी नेताओं ने वैक्सीनेशन के बारे में जनता को गुमराह करने की कोशिश की और कहा कि इसके प्रयोग पूरी तरह नहीं हुई है, यह भाजपा की वैक्सीन है, मोदी की वैक्सीन है इसके साइड इफेक्ट हो सकते हैं यह दुर्भाग्यपूर्ण है।
आज भारत सरकार ने 17 करोड़ से ज्यादा कोविड टीके वितरित कर दिए हैं, खरीदे जाने वाले कुल टीकों में से 50 % केंद्र द्वारा खरीदे जाते हैं । ये राज्यों को मुफ्त में दिए जाते हैं । इसके अतिरिक्त कई भाजपा शासित राज्यों ने भी सभी के लिए मुफ्त टीकों की घोषणा भी की है जिसमें हिमाचल भी एक है। कांग्रेस शासित राज्यों ने ऐसा नहीं किया है जिसके कारण जनता को असुविधा का सामना करना पड़ रहा है।
उन्होंने बताया नड्डा ने अपने पत्र में सेंट्रल विस्टा पर जो आरोप कांग्रेस लगा रही है उसको लेकर स्पष्ट किया है कि यूपीए के समय भी नई संसद की आवश्यकता का मुद्दा उठाया गया था । पूर्व लोकसभा अध्यक्ष , आदरणीया मीरा कुमार ने स्वयं एक नए संसद भवन की आवश्यकता को रेखांकित किया था । केंद्रीय शहरी विकास मंत्री ने भी इस परियोजना के संबंध में बड़ी संख्या में अन्य प्रश्नों के तथ्यों सहित उत्तर दिए हैं । कांग्रेस की छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा नए विधानसभा परिसर का निर्माण किया जा रहा है ।
उन्होंने कहा देश के सर्वोच्च न्यायालय ने भी कहा है कि पिछले 70 वर्षों में हमें जो स्वास्थ्य ढांचा विरासत में मिला है , वह अपर्याप्त है । यह कहने की या बताने की आवश्यकता नहीं है कि इन सात दशकों में भारत की राजनीति में किस पार्टी का वर्चस्व रहा है ।