बाबा बालक नाथ मंदिर के कपाट खुलने से श्रद्धालुओं और स्थानीय व्यापारियों ने राहत की सांस ली है। मंदिर प्रशासन ने कोविड 19 के चलते पूरी तैयारियां की और मंदिर परिसर में हाथों को सैनेटाइस करने के लिए मशीनें लगवाई। बाबा बालक नाथ मंदिर में जहां चबूतरे से महिलाएं ही बाबा जी की पिंडी के दर्शन करती हैं पुरुष भी वहीं से ही बाबा जी के दर्शन करेंगें । इसके साथ ही मंदिर में लंगर नहीं लगेगा।
उत्तरी भारत के प्रसिद्ध सिद्धपीठ दियोटसिद्ध बाबा बालक नाथ मंदिर के कपाट 70 दिन बाद श्रद्धालुओं के लिए खोल दिये गए हैं। मंदिर खुलने पर स्थानीय लोगों और श्रद्धालुओं ने खुशी जाहिर की है। बाबा बालक नाथ मंदिर में श्रद्धालुओं के लिए उचित समाजिक दूरी के अलावा बीमारी से बचाव के लिए थर्मल स्क्रीनिंग हैंड सेनीटाइजर का इस्तेमाल किया गया है। साथ ही मंदिर में श्रद्धालु 15 मिनट से ज्यादा का समय नहीं लगा सकते हैं। मंदिर में रोट इत्यादि प्रसाद ले जाने के लिए पूर्णतया मनाई है ।
पुरुष भी चबूतरे से ही बाबा जी पिंडी के दर्शन कर रहे हैं। वहीं मंदिर प्रशासन के द्वारा मंदिर के अंदर करीब 10 से 15 मिनट के भीतर श्रद्धालुओं को मंदिर के बाहर भेजा जा रहा है। मंदिर में प्रवेश करने से पहले श्रद्धालुओं का थर्मल स्क्रीनिंग स्वास्थ्य विभाग के द्वारा की जा रही है। मंदिर में लंगर पूरी तरह से प्रतिबंधित है।
स्थानीय श्रद्धालुओं ने बताया कि कि मंदिर के खुल जाने से फसल के चढ़ावे को भी हो सकेंगे। बाबा बालक नाथ दियोटसिद्ध मंदिर के ट्रस्टी ने बताया कि मंदिर में ट्रस्ट के द्वारा श्रद्धालुओं को सारी सुविधाएं मुहैया करवाने के लिए काम किया गया है। साथ ही कोरोना महामारी से बचाव के लिए भी मंदिर प्रशासन के द्वारा पूरी तरह से ऐहतियात बरता जा रहा है।