धर्मशाला के साथ लगते कुणाल पत्थरी में स्थित चाय के बागानों की खूबसूरती धर्मशाला घूमने के लिए आने वाले पर्यटकों को अपनी और आकर्षित कर लेती है । इस जगह पर अक्सर पर्यटकों को प्रकृति के नजरों को नजदीक से निहारते हुए देखा जा सकता है तो वहीं पर्यटक भी वापसी के दौरान धर्मशाला चाय के जायके को अपने साथ ले जाना नहीं भूलते। इसी वजह से ने केवल हिमाचल में बल्कि देश विदेशों में भी कांगड़ा चाय की खासी मांग है। धर्मशाला चाय पूरी तरह से हर्बल चाय है इसमें किसी भी प्रकार के कैमिकल का इस्तेमाल नहीं किया जाता। इस चाय को तैयार करने में भी काफी सरल तरीके का इस्तेमाल किया जाता है जिस वजह से इस धर्मशाला चाय की काफी ज्यादा मांग है
धर्मशाला टी फैक्टरी के मैनेजर अमन पाल सिंह ने बताया कि कोरोना काल के दौरान हर क्षेत्र में आर्थिकी को लेकर काफी नुकसान हुआ है। इससें धर्मशाला टी फैक्टरी भी अछूती नहीं है। उन्होंने बताया कि पिछले साल की परिस्थिति इस साल के मुकाबले काफी अलग है। पिछले साल जैसे ही सीजन शुरू हुआ उसी दौरान लोकडाउन लग गया। आसाम दार्जिलिंग वह साउथ इंडिया में भी लॉकडाउन था। लॉकडाउन के कुछ दिनों बाद ही जिला प्रशासन द्वारा टी फैक्ट्री को चाय बनाने के काम की मंजूरी दे दी गई थी। टी फैक्ट्री को इस बात से मुनाफा हुआ कि आसाम दार्जिलिंग व साउथ इंडिया में सभी फैक्ट्रियां बंद थी जिस कारण धर्मशाला चाय की बिक्री में बढ़ोतरी दर्ज की गई थी। हालांकि पिछले साल मौसम भी अच्छा रहा और बारिश भी खूब हुई जिस वजह से चाय की पत्तियों में नई कोंपलें भी आई जिस वजह से फैक्ट्री ने बम्पर कमाई की थी।
अमन पाल सिंह ने बताया कि इस वर्ष बारिश सही समय पर ना होने के कारण चाय की नई पत्तियां नहीं निकली हैं। वहीं, 75% प्रतिशत बारिश की कमी रही है जिस वजह से चाय पत्ती की ग्रोथ बिल्कुल नहीं हो पाई। उन्होंने बताया कि पिछले बार टी फैक्ट्री धर्मशाला में 31,000 किलो चाय का निर्माण किया गया था और इस साल केवल अभी तक 13,000 किलो ही चाय का निर्माण किया जा सका है। अप्रैल व मई माह तक चाय के रेट व बिक्री की डिमांड अच्छी थी लेकिन जून के बाद चाय की बिक्री व रेट भी कम हो गए हैं । उन्होंने बताया कि पिछले साल 125 ग्राम का चाय का पैकेट 295 रुपये तक बिका था लेकिन इस बार रेट काफी कम हो गए हैं।