हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ ने हिमाचल स्कूल शिक्षा बोर्ड पर 10वीं के परीक्षा परिणाम को लेकर सवाल खड़ा किए हैं। संघ ने 200 से ज़्यादा विद्यार्थियों को पूरे अंक आने पर सवाल उठाए गए हैं। हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ के अध्यक्ष वीरेंद्र चौहान ने आरोप लगाए है कि दसवीं के परीक्षा परिणाम के लिए जो मूल्यांकन किया उसमें कई त्रुटियां हैं। 200 से ज़्यादा बच्चों को 700 में से 700 अंक दे दिए गए हैं। इस तरह पहले कभी नहीं हुआ ओर न ही हो सकता है। बोर्ड इसमें यदि शिक्षकों से राय लेता तो नतीज़े ऐसे न आते। बोर्ड के पास 18 करोड़ से अधिक 10वीं की फ़ीस आई। उसके बाद बोर्ड ने क्या परिणाम निकाला। बोर्ड यदि मूल्यांकन भी सही ढंग से नहीं कर पाता है तो ओर क्या करेगा?
वीरेंद्र चौहान ने आरोप लगाया कि जब ये बात शिक्षक संघ जनता के सामने रखता तो उन्हें शिक्षा निदेशक की ओर से नोटिस दिए जा रहे हैं। शिक्षा निदेशक के ऐसे हथकंडो से शिक्षक डरने वाले नहीं है। विद्यार्थियों के हितों को उठाना शिक्षक का कर्तव्य है। शिक्षा निदेशक उन्हें डराने का काम न करे जो कार्यवाही उनके खिलाफ करनी है करें। निलंबत करना है तो करें , क्योंकि एक शिक्षक के ख़िलाफ़ आप कार्यवाही करेंगे तो हज़ारों शिक्षक खड़े हो जाएंगे। शिक्षा निदेशक द्वारा मुंह बंद रखने की अधिसूचना अलोकतांत्रिक है। हिमाचल के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है। स्कूली विद्यार्थियों के हित में शिक्षक काम करते हैं।