देश में सत्ता पाने के लिए राजनीति किस निम्न स्तर तक पहुंच गई है ये सब साफ होता है पेगासस प्रोजेक्ट के इस्तेमाल से। ख़बर है कि भारत में इसके जरिये विपक्षी दल के नेताओं के फोन पर भी नजर रखी जा रही थी। इजरायली स्पाइवेयर पेगासस के जरिए राहुल गांधी समेत कई विपक्षी नेताओं, केंद्रीय मंत्रियों, पत्रकारों आदि की जासूसी की रिपोर्ट्स सामने आई है। द वायर और इसके मीडिया पार्टनर इस बात की पुष्टि कर सकते हैं कि कई नेताओं के हैंकिंग राजनीति गतिविधियों को लेकर की गई। इनमें राहुल गांधी, प्रशांत किशोर, ममता बेनर्जी समेत कई नेताओं के नाम शामिल है।
द वायर के अनुसार, कांग्रेस नेता राहुल गांधी का कम से कम दो मोबाइल फोन भारत के उन 300 प्रमाणित नंबरों की सूची में शामिल हैं, जिनकी निगरानी करने के लिए इजराइल के एनएसओ ग्रुप के एक भारतीय क्लाइंट द्वारा पेगासस स्पायवेयर का इस्तेमाल करने की योजना बनाई गई थी। वैसे तो गांधी अब इस नंबर का इस्तेमाल नहीं करते हैं, लेकिन यह नंबर लीक हुए उस बड़े डेटाबेस का हिस्सा है, जिसे फ्रांसीसी मीडिया नॉन-प्रॉफिट फॉरबिडेन स्टोरीज ने प्राप्त किया है और इसे 16 न्यूज संस्थानों के साथ साझा किया है, जिसमें द वायर, द गार्जियन, वॉशिंगटन पोस्ट, ल मोंद इत्यादि शामिल हैं।
गांधी के फोन की फॉरेंसिक जांच नहीं हो पाने के चलते यह स्पष्ट रूप से बताना संभव नहीं है कि गांधी के फोन में पेगासस डाला गया था या नहीं, लेकिन उनके करीबियों से जुड़े कम से कम नौ नंबरों को निगरानी डेटाबेस में पाया जाना ये दर्शाता है कि इसमें राहुल गांधी की मौजूदगी महज इत्तेफाक नहीं है। इस बारे में राहुल गांधी ने बताया कि पूर्व में उन्हें संदिग्ध वॉट्सऐप मैसेज प्राप्त हुए थे, जिसके बाद उन्होंने तत्काल अपने नंबर और फोन बदल दिए, ताकि उन्हें निशाना बनाना आसान न हो।
वहीं, एनएसओ ग्रुप का कहना है कि वे अपने स्पायवेयर सिर्फ सरकार को बेचते हैं। कंपनी ने ये नहीं बताया है कि उनके ग्राहक कौन लोग हैं, लेकिन पेगासस प्रोजेक्ट और इससे पहले सिटिजन लैब द्वारा किए गए इन्वेस्टिगेशन इस ओर इशारा करते हैं कि एक या इससे अधिक आधिकारिक एजेंसियां लोगों की निगरानी करने के लिए पेगासस का इस्तेमाल कर रही हैं। इस अंदेशा को और बल मिलता है क्योंकि मोदी सरकार ने इस मामले में स्पष्ट प्रतिक्रिया देने से बार-बार इनकार किया है, जिसमें पेगासस प्रोजेक्ट का भी सवाल शामिल है कि भारत सरकार ने पेगासस का इस्तेमाल किया है या नहीं।
अगर ऐसा है तो राहुल गांधी पर निगरानी करने की योजना ऐसे समय पर बनाना, जब वे विपक्षी कांग्रेस के अध्यक्ष थे और नरेंद्र मोदी के खिलाफ साल 2019 के आम चुनाव में अपनी पार्टी का नेतृत्व कर रहे थे, पूरी चुनावी प्रक्रिया की अखंडता पर गंभीर सवाल खड़े करता है। द वायर ने गांधी के प्रत्येक मित्र और करीबियों को लीक हुए डेटाबेस में निगरानी से संबंधित सूची में उनकी उपस्थिति के बारे में सूचित करने के लिए संपर्क किया। कुछ महिला दोस्त हैरान थीं कि आखिर क्यों किसी आधिकारिक एजेंसी ने उन्हें 2019 के मध्य में निशाना बनाने के लिए चिह्नित किया था।