प्रश्नकाल खत्म होने के बाद विपक्ष के सदस्य भी सदन में आ गए। सदन में रमेश चंद ध्वाला द्वारा नियम 62 के अंतर्गत ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर जिला कांगड़ा के स्टोन क्रशर मालिकों इकाईयों को बन्द करने की तरफ उद्योग मंत्री का ध्यान आकर्षित किया। ध्वाला ने मांग उठाई की स्टोन क्रशर को लेकर बनाए गए सख़्त नियमों के चलते हड़ताल पर है। क्योंकि उन्हें पत्थर उठाने के लिए जेसीबी चलाने की अनुमति नहीं है।
ध्वाला ने कहा कि नोकरशाही यदि जनप्रतिनिधियों पर हावी होगी तो क्या होगा? ओवरलोडिंग के लिए मेरे बेटे तक का चालान कर दिया। इस पर विपक्ष ने भी खूब तालियां बजाई। ध्वाला ने धमकी भरे अंदाज़ में कहा कि यदि स्टोन क्रेशर को राहत नहीं दी तो वह संघर्षशील व्यक्ति है, संघर्ष करेंगे।
इस पर उद्योग मंत्री बिक्रम ठाकुर ने बताया कि नूरपुर औऱ इंदौरा के 30 स्टोन क्रेशर मालिकों द्वारा क्रेशर को बंद कर हड़ताल पर जाने की बात कही। क्रेशर को लेकर सभी के लिए एक जैसे मापदंड है। बरसात के मौसम में नदी नालों के खनन पर प्रतिबंध रहता है। यदि कोर्ट ने कुछ बोला है तो विभाग को अपना पक्ष रखने के लिए कहा गया है।
221 पट्टों को खनन के लिए नीलाम किया गया है। 221 में से 13 ने ही औपचारिकताओं को पूरा किया वह काम कर रहे हैं। स्टोन क्रेशर को लेकर कई पेचीदगियां हैं ऐसे में औपचारिकताओं को पूरा करना ज़रूरी है। सरकार खनन उद्योगों के साथ है लेकिन अवैध खनन और मनमानी की इजाज़त नहीं दी जा सकती है।