प्रशनकाल के दौरान सदन में करूणामूलक आश्रितों का मामला उठा। इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों के आश्रितों को कर्मचारी की मृत्यु के बाद नौकरी के लंबित मामलों के निपटारे के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया जाएगा। ये कमेटी निर्धारित समय सीमा में करूणामूलक कर्मियों के लंबित मामलों के निराकरण कर अपनी सिफारिशें प्रदेश सरकार को भेजेगी।
उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने करुणामूलक आश्रितों के हितों को देखते हुए 7 मार्च 2019 को संशोधित नीति जारी की है। इसके तहत मृत्यु के दिन तक कर्मचारी के आश्रितों को नौकरी के लिए पात्र बनाया गया है। इससे पहले 50 साल की आयु तक ही जिन कर्मचारियों की मृत्यु होती थी, उनके आश्रितों को करुणामूलक आधार पर नौकरी मिलती थी। इससे ज्यादा आयु होने पर यदि किसी कर्मचारी की मृत्यु होती थी तो उनके परिजनों को नौकरी नहीं मिल पाती थी।
मुख्यमंत्री प्रश्नकाल के दौरान विधायक मुकेश अग्निहोत्री, प्रकाश राणा, इंद्रदत लखनपाल, पवन कुमार काजल और राम लाल ठाकुर के संयुक्त सवाल का जवाब दे रहे थे।
मुकेश अग्निहोत्री ने अनुपूरक सवाल किया कि लटकाने के लिए कमेटियां गठित की जाती है। उन्होंने जानना चाहा कि ये कमेटी समयबद्व अपनी सिफारिशें देंगी? इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि निश्चित तौर पर करूणामूलक के लंबित मामलों को लंबा नहीं खींचा जाएगा और यह कमेटी समयबद्व अपना काम करेगी।