मंडी शहर के बीचों बीच ऐतिहासिक बिजयी स्कूल के साथ स्थित प्राइमरी स्कूल यू ब्लॉक भवन को तोड़ कर वहां पर पीपीपी मोड पर 100 करोड़ की लागत से बनाई जा रही पार्किंग को लेकर विरोध और समर्थन जारी है। कई सामाजिक संगठन व पुरातत्व व पर्यावरण प्रेमी पिछले दस दिनों से इसका विरोध कर रहे हैं और इस तरह की पार्किंग को इतिहास को मिटाने, स्कूल की जमीन पर कब्जा करने व शहर के बीच पार्किंग मॉल बना कर प्रदूषण बढ़ावा देने के आरोप लगा रहे हैं।
इधर, गुरूवार को सिटीजन काउंसिल के प्रधान ओपी कपूर ने बताया कि शहर में पार्किंग बनाने की मांग लंबे अरसे से चल रही है और यह सही कदम है। ध्यान सिर्फ इस बात का रखा जाना चाहिए कि इसमें स्कूल की जमीन व उसकी सुविधाओं को नुकसान न पहुंचे। साथ ही यू ब्लॉक प्राइमरी स्कूल का निर्माण पहले किया जाए तथा उसके बाद पार्किंग का भी निर्माण हो। नगर निगम के महापौर दीपाली जसवाल, उपमहापौर वीरेंद्र भट्ट व भाजपा पार्षदों ने एक ब्यान जारी करके इसका विरोध करने वालों को लताड़ लगाई है, उन्हें विकास विरोधी करार देते हुए इस निर्माण को जयराम ठाकुर सरकार की विकासात्मक सोच बताते हुए इसका पूरजोर समर्थन किया है। इससे नगर निगम की आमदनी में भी इजाफा होगा । यह पैसा शहर के विकास पर ही खर्च होगा। देव भूमि टैक्सी आपरेटर यूनियन ने भी इस निर्माण का समर्थन करते हुए पार्किंग को शहर की जरूरत व पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए जरूरी बताया है।
वहीं, इस विवाद के दसवें दिन इसका निर्माण कर रही कंपनी दिनेश कुमार शर्मा कंस्ट्क्शन प्राइवेट लिमिटेड ने भी अपनी चुप्पी तोड़ते हुए पत्रकार वार्ता की और अपना पक्ष रखा। इस दौरान मीडिया के सामने इस पूरे प्रोजेक्ट को लेकर प्रैजेंटेशन भी दी। कंपनी के चेयरमैन दिनेश कुमार शर्मा , एमडी नीतिश शर्मा व चार्टेड अकाउंटेंट मनु द्विवेदी ने विस्तार से इस परियोजना के बारे में बताया । कहा गया कि यह विशुद्ध तौर पर शहरी विकास विभाग को मिली जमीन पर बनाया जा रहा है। इसमें प्राचीन बिजयी स्कूल की एक ईंच जमीन भी नहीं ली जाएगी। इसे प्रदेश केबिनेट ने मंजूर करके अवार्ड किया है। कंपनी ने कंपीटीशन में भाग लेकर इस बिड को हासिल किया है। कंपनी इस पर 100 करोड़ रूपए अपने खर्च कर रही है। यह पीपीई मोड पर बन रहा है जिसे 30 साल तक चलाने के बाद सरकार को वापस कर दिया जाएगा। इसमें लगभग 17000 वर्ग मीटर जगह निर्मित होगी जिसमें 600 वाहनों की पार्किंग होगी तथा इसकी दरें सरकार द्वारा निर्धारित होंगी। इस 30 साल की अवधि में लगभग 70 करोड़ रूपए नगर निगम मंडी को दिए जाएंगे। इसके लिए 2 करोड़ रूपए पहले ही सरकार को अपफंरट मनी के तौर पर दिए जा चुके हैं। यही नहीं इस प्रोजेक्ट से परोक्ष अपरोक्ष तौर पर मंडी के 2500 लोगों को रोजगार भी मिलेगा।
कंपनी प्रबंधकों ने एक सवाल के जवाब में कहा कि इन खबरों में कोई सच्चाई नहीं है कि इसमें किसी मंत्री की हिस्सेदारी नहीं है। कंपनी ने मंडी की जनता से कहा कि यह अपनी तरह का प्रदेश का पहला प्रोजेक्ट है जो मंडी शहर के विकास व सुविधाओं के इजाफा करेगा। इसका विरोध करने की बजाय इसे प्रोत्साहित करें। यह प्रदेश सरकार के ड्रीम प्रोजेक्टों में से एक है।