आज छठे राज्य वित्त आयोग की बैठक अध्यक्ष सतपाल सत्ती की अद्यक्षता में बचत भवन में हुई। बैठक में पंचायती राज संस्थाओं के पदाधिकारियों ने कई विषयों पर चर्चा की। बैठक में सदस्यों ने अपना मानदेय बढ़ाने की मांग उठाई और कहा की जो उन्हें वर्तमान में मानदेय दिया जा रहा है वह काफी नहीं है। जिला परिषद सदस्य धामी लता वर्मा ने कहा हम लोग भी चुने हुए प्रतिनिधि हैं ज़ब कहीं कोई घटना घटती है हम भी चाहते हैं उन लोगों की मदद करें लेकिन हमें तो किराये के लिए भी किसी और के सामने हाथ फैलाने पड़ते हैं। विधायकों की तरह हम भी चुनकर आते हैं। उनको इतनी सैलरी दी जाती है पेंशन दी जाती है कम से कम 20-25 हज़ार तो हमें भी दिए जाने चाहिए।
जिला परिषद सदस्य मोनिता चौहान ने कहा हमारे एक महीने का वेतन तो इतनी दूर दराज क्षेत्रों से आने जाने और रहने में चला जाता है। अगर अपनी पंचायतो में घूमना हो तब भी अपना खर्च करना पड़ता है। इतने कम मानदेय में नहीं चलता किसी का भी खर्च लोगों की समस्याओ को कैसे सुने।
वहीं, वित्त आयोग के अध्यक्ष सतपाल सती ने कहा कि बैठक के दोनों सत्रों में पंचायती राज संस्थाओं एवं शहरी निकायों और पंचायत प्रतिनिधियों से प्राप्त बहुमूल्य सुझाव स्थानीय निकायों की आय बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण है। जिन्हें प्रदेश सरकार के समक्ष रख इसे हल करने का प्रयास किया जाएगा। उन्होंने कहा कि वित्त आयोग के अधीन हल होने वाली समस्याओं एवं सुझावों के अतिरिक्त अन्य सुझावों को संबंधित विभागों को हल होने के लिए भेजा जाएगा।
उन्होंने कहा कि जिला के विभिन्न विकास खण्डों में विभिन्न मदों के तहत आबंटित राशि जो अभी तक व्यय नहीं हुई है का अपने क्षेत्र के अधिकारियों से ब्यौरा लेकर अन्य विकास कार्यों पर खर्च करने के लिए प्रतिनिधि समन्वय स्थापित करें। उन्होंने बैठक में ग्राम पंचायतों द्वारा अपने संसाधनों से जुटाई गई आय की धनराशि को भी विभिन्न विकासात्मक कार्यों में खर्च कर वित्तिय शक्ति बढ़ाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि प्रतिनिधि अपने क्षेत्र में महिला सशक्तिकरण के लिए व्यापक जन अभियान चलाए। उन्होंने बताया कि मानदेय बढ़ाने का विषय भी सरकार के समक्ष रखा जाएगा।