हिमाचल के नए सीएम जयराम ठाकुर प्रदेश की कमान संभालने के लिए तैयार है। वहीं सीएम के सामने सरकार चलाने के लिए ढ़ेरों चुनौतियां रहेंगी। ऐसे में जयराम ठाकुर किस तरह से प्रदेश में विकास की डोर को बढ़ाते है ये वक्त ही बताएगा। सीएम के सामने ये रहेंगी चुनौतियां-
प्रदेश में कर्ज का बोझ
जयराम के लिए सबसे बड़ी चुनौती 53 हजार करोड़ कर्ज में डूबे प्रदेश में विकास कार्यों के लिए संसाधन जुटाने की रहेगी। पार्टी की चुनावी घोषणाओं को पूरा करने के लिए उनके सामने खराब वित्तीय हालात ही नहीं बल्कि प्रशासनिक तौर पर लचर हो चुकी अफसरशाही पर लगाम कसने की भी रहेगी। हिमाचल में चाहे वीरभद्र सिंह की सरकार रही हो या फिर शांता या धूमल की। हर बार सरकार ने कर्ज लेकर ही काम चलाया है। इसका कारण हिमाचल में आय के साधन सीमित होना भी है।
विधानसभा चुनाव के दौरान कर्मचारियों को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए 4-9-14 की घोषणा, बेरोजगारी दूर करना, हिमाचल को भ्रष्टाचार मुक्त और कानून व्यवस्था को दुरुस्त करने के साथ साथ आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए पालिसी, सरकारी विभागों, निगम बोर्डों को पेंशन योजना के लिए केंद्र से परामर्श कर पेंशन योजना समिति का गठन करना, अवैध कब्जों के नियमितीकरण को नीति बनाना, निजी स्कूलों की अनुचित शुल्क वृद्धि पर रोक, केंद्र सरकार की ओर से मिले 61 नेशनल हाइवे को जमीन पर उतारना भी चुनौती से कम नहीं होगी।
बीजेपी नेताओं में बनाना होगा तालमेल
हिमाचल बीजेपी से इस बार 44 विधायक जीतकर आए हैं। जयराम ठाकुर उम्र दराज नेताओं में सबसे जूनियर हैं। मुख्यमंत्री होते हुए वरिष्ठ नेताओं के साथ तालमेल बिठाना और सबको साथ लेकर चलना ठाकुर के लिए चुनौती से कम नहीं होगा।
हिमाचल में दो गुटों में बंटी है बीजेपी
हिमाचल में दो गुटों में बंटी बीजेपी के विधायक जेपी नड्डा और धूमल खेमों से जुड़े हैं। प्रदेश बीजेपी के इन दोनों दिग्गजों के गुटों से तालमेल बनाना भी ठाकुर के लिए आसान नहीं होगा।