हिमाचल प्रदेश में उपचुनावों में एक तरफ कांग्रेस ने अपने सभी उमीदवारों को मैदान में उतार दिया है। वहीं, दूसरी और भाजपा में अभी भी पेंच फंसा है कि टिकट किसे दी जाए। फतेहपुर विधानसभा क्षेत्र और मंडी लोकसभा सीट की चर्चा अब दिल्ली में पार्लियामेंट कमेटी में होगी। प्रदेश में हुई भाजपा की बैठक में फाइनल हुई लिस्ट पर भी अभी तक आखिरी सहमति ना बनने के चलते अब आखिरी फैसला दिल्ली हाइकमान के पास चला गया है। दिल्ली में गए दो नामो में अब असमंजस की स्थिति बनी है।
समाचार फर्स्ट के पुख्ता सूत्रों के मुताबिक दिल्ली में दो नाम पहुंचे हुए हैं जिसमें पहला नाम कृपाल परमार तो दूसरा नाम जगदेव का है जो हाल ही में जिला परिषद चुनावों में मैदान में उतरे थे, लेकिन जनता ने उन्हें नकार दिया था और वे चौथे स्थान पर रहे थे। जबकि प्रथम स्थान पर कृपाल परमार का भाजपा से समर्थक प्रत्याशी ही जीता था । अब ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर ऐसे उमीदवार पर क्यों भाजपा दाव लगाना चाहती है जो जिला परिषद चुनावो में बगावत कर आजाद उतरकर चौथे स्थान पर रहा था ।
बड़े नेताओं से दोस्ती बनी टिकट में अड़चन !
वहीं, कृपाल परमार की बात की जाए तो कृपाल परमार मोदी, अमित शाह के खास माने जाते थे और 2017 में भी प्रदेश से भेजी गई लिस्ट में कृपाल परमार का नाम नहीं था। जिसके बाद पार्लियामेंट कमेटी में मोदी ने खुद कृपाल परमार का नाम फाइनल किया था। उस चुनाव में मात्र 1284 वोट से कृपाल परमार हारे थे, जबकि भाजपा के दो उमीदवार आजाद उतरे थे और वही भाजपा की हार का मुख्य कारण थे। अब एक बार फिर से कृपाल की दोस्ती प्रदेश के नेतृत्व को भा नहीं रही जिसके चलते कहीं ना कहीं नजरअंदाज करने का प्रयास जारी है ।