हिमाचल की राजधानी शिमला के समीप गोल्फ कोर्स के लिए मशहूर नालदेहरा में एक स्टॉल ऐसा है, जिसने एक समूह की 13 महिलाओं का भविष्य ही बदल दिया। ये महिलाएं एक ही छत में बुनकर के उत्पाद से लेकर पहाड़ी व्यंजनों को देश-विदेश के पर्यटकों को परोस रही हैं। जबलांडा नामक स्थान पर महिलाओं ने ग्रामीण भंडार नालदेहरा नाम से एक समूह की शुरुआत की और अब यह सफलता के नए आयाम छू रहा है।
शुरुआत में नहीं था अच्छा रिस्पांस
शुरुआत के दिनों में इतना अच्छा रिस्पांस नहीं आया, लेकिन महिलाओं ने हिम्मत नहीं हारी और काम करती रहीं। धीरे-धीरे इस प्रयोग को पहचान मिली। सैलानी आते और सिड्डू, पहाड़ी उड़द की दाल, राजमाश, मक्की की रोटी, सरसों का साग और लिंगड़ी जैसी स्वादिष्ट पहाड़ी सब्जी का लुत्फ उठाते हैं। जबलांडा से चूंकि नालदेहरा गोल्फ कोर्स समीप है और यहां सैलानी बड़ी संख्या में आते हैं।
बदली आर्थिक तस्वीर
समूह से जुड़ी 13 महिलाएं हाथ से तैयार उत्पाद को जबलांडा में किराये के स्टॉल पर प्रदर्शित करती हैं। बिक्री से होने वाली आय उत्पाद बनाने वाली महिला को दी जाती है। सभी महिलाओं के अपने बैंक खाते हैं। सीजन के दौरान समूह के उत्पादों की बिक्री 25 से 30 हजार रुपये प्रतिमाह हो जाती है। समूह से जुड़ी आसपास की तीन पंचायतों की महिलाओं विमला, रामकली, विद्या, संतोष आदि का कहना है कि अपने कमाये पैसे को खर्च करने में अलग ही आनंद है। उनका कहना है कि जब सैलानी उनके हाथ के बने खाने की तारीफ करते हैं तो और भी नए प्रयोग करने के लिए प्रेरित होती हैं।
सरकार से और अधिक प्रोत्साहन की वकालत
समूह की अध्यक्ष विद्या ठाकुर का कहना है कि महिलाओं का हौसला बढ़ाने के लिए सरकार को और अधिक प्रयास करने चाहिए। सबसे बड़ी जरुरत मार्केटिंग के बाजार उपलब्ध करवाने की है। यदि उत्पादों की बिक्री बढ़ती है तो और अधिक महिलाएं इससे जुड़कर लाभ कमा सकती हैं। प्रशासन को स्वयं सहायता समूहों के लिए अधिक से अधिक व्यापार मेलों का आयोजन करना चाहिए। फूड प्रोसेसिंग की यहां अपार संभावनाएं हैं।