क्या कांग्रेस की तुलना ‘महामारी’ से करना उचित है? क्या लोकतंत्र में विपक्ष की हैसियत इतनी खराब होती है कि उसके लिए अमर्यादित विशेषण से नवाजा जाए? लोकतंत्र और इसके रीति-रिवाजों में तो कम से कम ऐसा नहीं रहा है. लेकिन, जब प्रदेश का एक मुख्यमंत्री विपक्ष की तुलना महामारी से करे तो विमर्श लाजमी है? चुनाव प्रचार के रवाब में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ऐसे बह चले हैं कि उन्हें महामारी और विपक्षी दल के प्रति राजनीतिक मर्यादा ख्याल नहीं दिख रहा. रविवार को मंडी के रत्तीपुल और पंडोह में चुनाव प्रचार के दौरान सीएम जयराम ठाकुर ने कांग्रेस और कोविड-19 को एक तराजू पर रख दिया.
उन्होंने कहा, “आज भारत ‘कोविड’ और ‘कांग्रेस’ मुक्त हो रहा है. जिस पार्टी ने इतने लंबे समय तक देश में शासन किया आझ वो देश में ही खत्म हो गई है. कोई तो इसके पीछे वजह होगी.”
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर मंडी लोकसभा सीट से बीजेपी उम्मीदवार खुशाल ठाकुर के लिए चुनाव प्रचार लगातार कर रहे हैं. मंडी लोकसभा सीट का उपचुनाव सीएम की नाक का भी सवाल बना हुआ है. हालांकि, वर्तमान प्रचार में बीजेपी लगातार तर्कों और अपने भाषणों से बढ़त बनाने का दावा कर रहा है. लेकिन, इस दौरान प्रत्याशी से लेकर नेता राजनीतिक नैतिकता को ताक पर रखते भी दिखाई दे रहे हैं. एक ओर जहां कांग्रेस की प्रत्याशी के सेना पर दिए बयान से किरकिरी हुई थी. तो वहीं, अब सीएम का प्रदेश की मुख्य विपक्षी पार्टी की तुलना कोविड से करना भी विवाद की गंध छोड़ गया है.
दो दिन में कन्हैया को भेजा प्रदेश से वापस
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने अपने प्रचार में कन्हैया कुमार को भी आड़े हाथों लिया. कांग्रेस के स्टार प्रचारक और पार्टी में शामिल हुए चर्चित नेता कन्हैया कुमार पर उन्होंने तंज कसते हुए कहा, “कांग्रेस को प्रचार के लिए बाहर से लोगों को बुलाना पड़ रहा है। कन्हैया कुमार को देवभूमि और वीरभूमि में स्टार प्रचाकर बना दिया गया। कांग्रेस ने जब देखा कि वीरभूमि की जनता इससे आक्रोशित है तो दो दिन में ही उन्हें वापस भेज दिया।” उन्होंने कहा कि अब देवभूमि और वीरभूमि की जनता ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर को जीताकर दिल्ली भेजेगी।
‘कांग्रेस में मची उछलकूद, चिल्लाने से नहीं बनते नेता’
हिमाचल कांग्रेस में नेतृत्व को लेकर मची हलचल पर भी मुख्यमंत्री तंज कसा. उन्होंने कहा, “वीरभद्र सिंह के जाने का हमें भी दुख है, लेकिन आज कांग्रेस में उछल-कूद मची हुई है। हर कोई जोर-जोर से चिल्लाकर नेता बनना चाहता है, लेकिन चीखने-चिल्लाने से कोई नेता नहीं बन जाता.”