हिमाचल में उपचुनावों में राजनीति चरम पर पहुंच गई है। दोनों ही प्रमुख दल कांग्रेस और भाजपा ने अपने-अपने बड़े चहरों को उतार कर जातिगत वोट बैंक को घेरने की कोशिश तेज कर दी है। आपको बता दें कि दोनों ही दलों नें मंडी लेकसभा उपचुनावों में राजपूत चहरों को उतारा है। राजपुत वोट बैंक बंटने की वजह से अब भाजपा जंहा ब्राह्मण वोटरों को घेरने की फिराक में है तो दूसरी और कांग्रेस दलित और ओबीसी वोटरों को लुभाने के लिए अपने बड़े चहरों को उतारने जा रही है।
दलित राजनीति में बड़ा चेहरा बन कर उभरे पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी और कांग्रेस में ओबीसी और किसान नेता छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल मंडी में कांग्रेस की नइया पार लगाने के चुनावी मैदान में उतरेंगे। चन्नी 25 अक्तूबर को मंडी के नाचन में जनसभा करेंगे तो भूपेश 27 को लोकसभा की कई जगदों पर चुनावी रैलियां करेंगे। ईन दोनों नेताओं को उतार कर कांग्रेस SC-ST और ओबीसी वोटरों को अपनी तरफ करने की कोशिश करे रही है।
आपको बता दे कि मंडी जिले में 30.66, कुल्लु जिले में 31.85, किन्नौर जिले में 75.68 औप लाहौल स्पीति में 80.79 फीसदी SC-ST जनसख्या। वहीं इन क्षेत्रों में अधिकतर लोग किसानी से जुडे हुए हैं। अपने सबसे बड़े दलित और किसान नेता को उतार कर कांग्रेस ने इन समुदायों को अपनी ओर करने के संकेत दे दिये हैं। युवाओं को भी कांग्रेस की तरफ करने के लिए पार्टी सचीन पॉयलट को भी चुनावी दंगल में उतारेगी। पॉयलट 26 अक्टूबर को जनसभा को संबोधित करेंगे।
वहीं, दूसरी ओर भाजपा ने ब्राह्मण वोट बैंक में सेंध करने के लिए राजनीति से सन्यास ले चुके शांता कुमार का सहारा लिया है। अब देखना ये है कि जातिगत आधार पर कितने लोग मतदान करेंगे। क्योंकि मंहगाई और बेरोजगारी आसमान छूने के बाद भी उपचुनावों में मुद्दा नहीं बन पाई है।