हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में पीएचडी में आलाधिकारियों के बच्चों की सीधे प्रवेश देने का मामला सामने आया था जो अब तूल पकड़ता जा रहा है। इस मामले को लेकर अब माकपा ने विश्वविद्यालय प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। माकपा ने आरोप लगाया है कि हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला भाजपा और RSS के इशारे पर धांधलिया कर रही है। जिसके विरोध में गुरुवार को माकपा ने उपायुक्त शिमला के कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया।
माकपा का कहना है कि भाजपा और RSS ने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय धांधलियों का अड्डा बना दिया है। जिस तरह कुलपति सिकंदर कुमार, निदेशक पीएल शर्मा, अरविन्द भट्ट (डीन प्लानिंग ) ने अपने बच्चों के लिए विश्विद्यालय अनुदान आयोग के नियमों को ताक पर रखकर अपने बच्चों की पीएचडी में दाखिला किया है। यह बहुत बड़ा भ्रष्टाचार है और माकपा इसका पुरजोर विरोध करती है। तीनों एडमिशन यूजीसी के नियमों के खिलाफ हैं। इसलिए इन एडमिशन को तुरंत निरस्त किया जाना चाहिए।
माकपा नेता संजय चौहान ने कहा कि इससे ज्यादा शर्मनाक बात विश्वविद्यालय के लिए नहीं हो सकती जहां एक ओर आम गरीब किसान मजदूरों के बच्चे दिन रात एक करके पीएचडी में दाखिला लेने के लिए मेहनत कर रहा है उनको बिल्कुल दरकिनार करते हुए सिर्फ अपने चहेतों को दाखिला दे दिया। उसमें भी कोई विज्ञापन इन सीटों को लेकर जारी नहीं किया गया और ये कोई पहली बारी नहीं है जब ऐसी धांधलिया PhD के अंदर हुई है। दीन दयाल उपाध्याय पीठ के अंदर भी सिर्फ एक विशेष विचारधारा के लोगों को भर्ती किया गया जिसमें कोई भी advertisement नहीं निकाली।
उन्होंने कहा कि बीजेपी सरकार विश्वविद्यालय प्रशासन भारी विरोध के बाद एक बचकाना स्पष्टीकरण जारी किया और जिस में कहा कि इससे विश्वविद्यालय के निम्न वर्ग के कर्मचारियों के बच्चों को उच्च शिक्षा हासिल करने में सहायता मिलेगी। सीपीआईएम ने आरोप लगाया कि विश्वविद्यालय की रैंकिंग के अंदर गिरावट के लिए भी ऐसे ही भ्रष्ट अधिकारी और उनके कारनामे जिम्मेवार हैं ।