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फतेहपुर में दशकों रहा पठानिया परिवार का दबदबा, क्या नई पीढ़ी पर जनता जताएगी भरोसा?

मृत्युंजय पुरी |

फतेहपुर: फतेहपुर विधानसभा क्षेत्र के 85,685 मतदाता 30 अक्टूबर यानी शनिवार को 5 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला कर देंगे। पिछले 5 दशकों में सुजान सिंह पठानिया और राजन सुशांत का रण रहे इस हल्के में जनता नए चेहरों पर मुहर लगाएगी या फिर पुराने नामों के साथ जाएगी ये तो 2 नवंबर को ही पता चल पाएगा।

इस बार कांग्रेस से भवानी पठानिया, भाजपा से बलदेव ठाकुर और तीन आजाद प्रत्याशी डॉ. राजन सुशांत, डॉ. अशोक कुमार सोमल और पंकज दर्शी मैदान में हैं। कल 30 सहायक मतदान केंद्रों के साथ 111 पोलिंग बूथों पर 43,159 पुरुष और 42,527 महिला वोटर इन सबके भविष्य का फैसला करेंगे। अगर इतिहास पर नजर डालें तो इस विधानसभा के गठन के बाद कांग्रेस का ही दबदबा रहा है।

2002 में ज्वाली से अलग होने के बाद सुजान सिंह पठानिया पर जनता ने भरोसा जताया था। लेकिन 2007 में राजन सुशांत ने इस सीट पर कब्जा जमा लिया। सुशांत के 2009 में लोकसभा पहुंचने पर सीट दोबारा खाली हुई। लेकिन लोगों ने नए चेहरे को मौकै देने की जगह पठानिया को फिर एक बार MLA बना दिया। इसके बाद भाजपा और सुशांत के लिए यहां सूखा ही रहा।  2012 में नूरपुर की 14 पंचायतें इस हल्के में मिलाई गईं। लेकिन पठानिया के विजयी रथ पर कोई असर नहीं पड़ा। 2012 और फिर 2017 दोनों ही बार जीत का सेहरा उनके सिर चढ़ा।

आपको बता दें कि 2002 से पहले फतेहपुर, ज्वाली विधानसभा क्षेत्र का हिस्सा था। उस समय भी यहां पर सुजान सिंह पठानिया और डॉ. राजन सुशांत के बीच ही मुकाबला रहता था। 1985 और 1998 में डॉ. राजन सुशांत जीते तो 1990 और 1993 जनता सुजान सिंह पठानिया के साथ गई। लेकिन सुजान सिंह पठानिया के निधन के बाद खाली हुई इस सीट पर अब लोग उनके पुत्र भवानी पठानिया या भाजपा प्रत्याशी बलदेव ठाकुर या फिर डॉ. राजन सुशांत पर भरोसा दिखाएंगे ये तो 2 नवंबर को ही पता चल जाएगा।