हिमाचल में पटवार वृत पटवारियों के बगैर हो गए हैं। पुर्नरोजगार खत्म करने के सरकारी फरमान के बाद 12 सौ पटवारियों और कानूनगों के नौकरी से बाहर हो गए हैं। जिसके चलते ग्रामीण इलाकों में लोगों को दिक्कतों का सामना करना पढ़ रहा है। पटवारियों के न होने से ग्रामीणों को ततीमा और अन्य जमीन के कागजात नहीं मिल पा रहे हैं। प्रदेश सरकार ने पुर्नरोजगार खत्म करने का फैसला तो ले लिया लेकिन इनकी जगह काम करने की व्यवस्था अभी तक नहीं कर पाया है।
प्रदेश में पटवारियों की भारी किल्लत है। किल्लत के साथ-साथ नए पटवार वृत्तों के खुलने तथा पटवारियों की नई भर्ती में लगने वाले वक्त को देखते हुए पूर्व सरकार ने करीब 1200 पटवारियों व कानूनों को दोबारा रोजगार प्रदान किया। बीजेपी विपक्ष में रहते हुए पुर्नरोजगार की खिलाफत करती रही। सत्ता में आने के बाद बीजेपी सरकार ने पुर्नरोजगार खत्म करने का फैसला लिया।
फैसले के बाद 1200 पटवारियों व कानूनों की तो नौकरी गई, मगर लोगों की दिक्कतों में इजाफा हुआ। ग्रामीण लोगों के साथ-साथ ग्रामीण हलकों से आने वाले विधायकों की चिंता भी इससे बढ़ने लगी है। एक साथ एक ही विभाग में इतने कर्मचारियों की छुट्टी कर देने से कामकाज प्रभावित हो गया है। पूर्व सरकार के कार्यकाल के दौरान राजस्व विभाग में कानूनगो और पटवारियों के रिक्त पद चल रहे थे।
एक पटवारी के पास चार से ज्यादा पटवारखानों का कार्यभार दिया गया था। लिहाजा सरकार ने रिटायर पटवारियों व कानूनगो को दोबारा 10 से 12 हजार के मानदेय पर रोजगार पर रखा मगर अब इनके हटने से लोगों को ततीमा और अन्य जमीन के कागजात के लिए इंतजार करना पड़ रहा है। यहीं नहीं जमीन की डिमार्केशन तक प्रभावित हो गई है। अब देखना यह है कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की अध्यक्षता में होने वाली कैबिनेट की बैठक में इस मुद्दे का क्या समाधान सरकार तलाशती है।