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राफेल डील में घूसखोरी पर सियासत, बीजेपी-कांग्रेस आमने सामने

डेस्क |

राफेल डील मामले में हुए खुलासे के बाद से बीजेपी और कांग्रेस के बीच आरोप प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है. 64 करोड़ रुपए की घूस का मामला सामने आने के बाद बीजेपी ने कांग्रेस को चौतरफा घेर लिया है. उधर कांग्रेस भी बीजेपी से सवाल कर रही है.

जहां एक ओर बीजेपी ने 2013 से पहले हुई इस डील का मुद्दा उठाते हुए राहुल गांधी से जवाब मांगा है तो वहीं दूसरी ओर कांग्रेस ने केंद्र सरकार को घेरते हुए इस मामले को दबाने का आरोप लगाया है.

बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि राहुल गांधी को अवश्य इस पर जवाब देना चाहिए. उन्होंने कहा कि साल 2013 से पहले इस डील के लिए 65 करोड़ रुपये की घूस दी गई थी. किसकी सरकार में डील हुई यह पता चल गया है. 2007 और 2012 के बीच जो राफेल डील की गई थी उसमें यह घूस दी गई थी.

बीजेपी प्रवक्ता ने कहा कि कुछ महीने पहले फ्रांस की एक मीडिया कंपनी मीडिया पार्टी ने यह खुलासा किया कि राफेल में भ्रष्टाचार हुआ था. जैसे ही यह खुलासा हुआ कांग्रेस पार्टी ने आव देखा ना ताव और देश के प्रधानमंत्री पर हमला बोला था. उस समय बीजेपी ने कहा था कि इंतजार करिए, समय आएगा तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा.

उधर कांग्रेस ने राफेल डील में घूस के आरोपों पर केन्द्र सरकार पर हमला बोला है. कांग्रेस ने कहा कि राफेल देश का सबसे बड़ा रक्षा घोटाला है. कांग्रेस ने कहा कि राफेल में रिश्वतखोरी को दफनाने की कोशिश की गई है.

कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मोदी सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं. कांग्रेस ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार द्वारा राफेल डील में भ्रष्टाचार को दफनाने के लिए ऑपरेशन कवर अप चल रहा है. पिछले 5 सालों में जो आरोप है वो देश की सत्ता में बैठे उच्चतम लोगों तक जा रहा है.

पवन खेड़ा ने कहा, 4 अक्टूबर 2018 को बीजेपी के पूर्व मंत्री और एक वरिष्ठ वकील ने तत्कालीन सीबीआई के निदेशक को दस्तावेज सौंपे, 11 अक्टूबर 2018 को मॉरीशस सरकार ने भी सीबीआई को दस्तावेज सौंपे. उसके बाद कोई जांच शुरू नहीं होती है और आधी रात को आलोक वर्मा को हटा दिया जाता है और अपने चहेते नागेश्वर राव को बना दिया जाता है. 36 महीनों में कोई कार्रवाई क्यों नहीं की? ये कोई 60-65 करोड़ घोटाले का मामला नहीं है ये सबसे बड़ा रक्षा घोटाला है.