राजधानी दिल्ली और एनसीआर में वायु प्रदूषण की स्थिति को लेकर सुप्रीम कोर्ट सख्त है. जहां एक ओर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार को फटकार लगाई है तो वहीं दूसरी ओर सुप्रीम कोर्ट टीवी डिबेट्स से भी खफा दिख रहा है. अदालत की कार्यवाही को जिस तरह से टीवी पर दिखाया जा रहा है, उसको लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त नाराजगी जताई है.
कोर्ट ने कहा कि टीवी चैनल हद करते हैं, यहां कहा कुछ जाता है और वो उसका बना कुछ और ही देते हैं. कोर्ट ने कहा कि ऐसा लगता है कि उनको चीजों की समझ ही नहीं है, वो बस अपने एंजेडा को बढ़ाने में लगे हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा प्रदूषण की तमाम वजहें तो हैं ही लेकिन टीवी पर चल रही बहसें सबसे ज्यादा प्रदूषण पैदा कर रही हैं. वे चीजों को समझते ही नहीं हैं और बयानों को संदर्भ से एकदम बाहर कर रिपोर्ट किया जाता है. हर किसी का अपना एजेंडा है और उसी को बढ़ाने में लगा है.
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सुनवाई के दौरान तुषार मेहता ने कहा कि मेरे बारे में मीडिया में कहा गया कि मैंने पराली जलाने को लेकर गलत जानकारी दी, मैं इस पर स्पष्टीकरण देना चाहता हूं. इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि पब्लिक ऑफिस में ऐसी आलोचना होती रहती है, इसे भूल जाइए. चीफ जस्टिस ने कहा कि कितने फीसदी प्रदूषण किससे है, ये आंकड़े महत्वपूर्ण नहीं हैं. इस सबसे मुद्दे को घुमाने की कोशिश ना की जाए. हमें प्रदूषण कम करने की चिंता है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘हमें बिल्कुल भी गुमराह नहीं किया गया था. आपने 10 प्रतिशत कहा था लेकिन हलफनामे में यह बताया गया था कि यह 30 से 40 प्रतिशत है.’ बैंच ने कहा, ‘इस तरह की आलोचना होती है जब हम सार्वजनिक पदों पर होते हैं. हम स्पष्ट हैं, हमारा विवेक स्पष्ट है, यह सब भूल जाइए. इस तरह की आलोचनाएं होती रहती हैं और हम समाज की बेहतरी के लिए काम करते हैं.’