जिन हाथों ने हॉकी खेलकर प्रदेश का नाम रोशन किया, जिन खिलाड़ियों ने देश के राष्ट्रीय खेल का आगे बढ़ाने की नीयत से हॉकी खेलने की सोची… उन्हें आख़िर क्या मिला सिर्फ अनदेखी। ऐसा इसलिए, क्योंकि आज हिमाचल के हमीरपुर में रहने वाली एक हॉकी खिलाड़ी फास्ट फूड की रेहड़ी लगाकर गुजारा कर रही है। चोटिल होने के बाद सरकार औऱ विभाग की अनदेखी से हताश नेहा ने आख़िर में हॉकी खेलना छोड़ दिया औऱ परिवार के गुजर बसर के लिए रेहड़ी पर काम करना शुरू कर दिया। अपने बीमार पिता के साथ नेहा अब हमीरपुर बाज़ार में फास्ट फूड बेचती हैं।
दरअसल, नेशनल खेलने वाली नेहा कई बार खेल के दौरान चोटिल हुई, लेकिन चोटिल होने के बाद कोई उनकी सूध लेने नहीं आया। ऐसे में उनके पिता और माता भी बीमारी से ग्रस्त चल रहे थे और मजबूरन उन्हें अपना परिवार का गुजर बसर करने के लिए पिता के साथ रेहड़ी पर काम करना पड़ा। बेशक़ कुछ दिनों बाद नेहा ठीक हो गईं, लेकिन वे सरकार, प्रबंधन और विभाग से जरूर नाराज़ थीं। उन्होंने आरोप लगाते हुए ये भी कहा कि जब खेल अकादमियों को खिलाड़ियों की जरूरत होती है तब वे उन्हें बुलाते हैं, लेकिन खेल ख़त्म होने के बाद खिलाड़ियों को भुला दिया जाता है। इसी से हताश होकर वे आज अपने बहन भाई को भी खेलों से दूर रखती हैं….
नेहा ने ये भी कहा कि अब खेल में कॅरिअर की उम्मीद नहीं। अब सिर्फ परिवार के गुजारे के लिए वह मैच खेल लेती हैं ताकि कुछ पैसे मिल सकें। 8वीं कक्षा के दौरान ही उनका चयन स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया के धर्मशाला हॉस्टल के लिए हुआ। उन्होंने राष्ट्रीय स्तर की स्पर्धा में सिल्वर मेडल अपने नाम किया। हॉकी में जूनियर वर्ग में दो नेशनल खेले और कई और मेडल भी जीतें। वेटलिफ्टिंग तक में पंजाब की तरफ से नेशनल स्पर्धा में हिस्सा लिया। इतना सब करने के बाद भी उन्हें सरकार की ओर कोई तरजीह नहीं दी गई। फास्ट फूड की रेहड़ी पर काम करती अपनी बेटी के हाथों को देखकर उनके माता पिता भी काफी हताश हैं। आख़िर में उन्होंने खेल मंत्री अनुराग ठाकुर से गुहार जरूर लगाई है….
नेहा के बीमारी पिता ने बताया कि बेटी ने नेशनल हॉकी में कई बार खेला है लेकिन नौकरी तक नहीं मिली। कई दफा़ भर्तियों में भी हिस्सा लिया है लेकिन कहीं बात न बनी… उनका कहना है हमारी उम्र तो ग़ुजर गई लेकिन सरकार से यही मांग है कि जल्द नेहा की कोई सहायता करें। हमीरपुर के एक अन्य नेशनल खिलाड़ी ने भी इस परिवार के लिए मदद की गुहार लगाई है। उन्होंने कहा कि इस परिवार की मदद की जाए।
प्रदेश में जिस तरह आज खिलाडियों की अनदेखी हो रही है, ऐसे में आने वाले वक़्त में बच्चे खेलों में क्या दलचस्पी लेंगे। नेहा के हालात ऐसे है कि नेहा के पास रहने के लिए घर तक नहीं। काफी वक़्त से झुग्गी में रहकर गुजारा कर रही हैं. हालांकि कुछ समय पहले ही उन्हें हमीरपुर के वार्ड नंबर दस के पास सरकार ने जमीन दी थी लेकिन पैसे न होने से घर नहीं बन सका। उपर से बीमार पिता के ईलाज का खर्चा और दो छोटे भाई-बहन का पालन पोषण… नेहा को और भी अंदर से तोड़ रहा है। अब आख़िर उम्मीद है तो सिर्फ सरकार और केंद्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर से….