देश में चुनाव सुधार की दिशा में पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त टीएस कृष्णमूर्ति ने एक महत्वपूर्ण सुझाव दिया है। कृष्णमूर्ति ने उन इलाकों में दोबारा चुनाव कराने की वकालत की है, जहां जीत या हार का मार्जिन NOTA में डाले गए वोट से कम हो। अंग्रेजी अख़बार ट्रिब्यून के हवाले से छपी ख़बर के मुताबिक पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा है कि अगर ''नोटा'' में डाले गए वोटों की संख्या जीत-हार से ज्यादा हो और प्रत्याशी के जीत का प्रतिशत एक तिहाई से कम हो तो ऐसी सूरत में दोबारा चुनाव होना चाहिए।
देश में चुनाव-सुधार को लेकर समय-समय पर कदम उठाए जाते रहे हैं। इसी कड़ी में 'NOTA' यानी चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों में से कोई नहीं का ऑप्शन मतदाताओं को दिया गया था, ताकि जो मतदाता इस विकल्प से समहत हो वह इसका इस्तेमाल कर सके। मगर, नोटा के बढ़ते इस्तेमाल के बावजूद इसकी उपयोगिता पर प्रश्नचिन्ह खड़े होते रहे हैं। ऐसे में पूर्व चुनाव आयुक्त टीएस कृष्णमूर्ति का सुझाव गौर करने वाला है।
दरअसल, हाल ही में हुए गुजरात और हिमाचल प्रदेश के चुनावों में कई प्रत्याशियों की जीत का अंतर नोटा में डाले गए वोटों से भी कम रहा। ऐसी सूरत में लोकतंत्र तथा चुनावी पद्धति को और सशक्त करने में इन खामियों को दूर करने की बड़ी चुनौती है। लिहाजा, पूर्व चुनाव आयुक्त इस मसले पर नोटा को एक अहम हथियार बताते हैं।
'नोटा' में ज्यादा वोटों के पड़ने का संकेत यही है कि वहां का एक हिस्सा चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों से संतुष्ट नहीं है। ऐसे में अगर हार-जीत का अतंर नोटा से भी कम हो जाता है, तो प्रत्याशी विशेष की जीत का अर्थ बहुमत नहीं हो सकता।