कांग्रेस हाईकमान ने पंजाब चुनावों को लेकर बड़ा फैसला किया है. हाईकमान ने कांग्रेस के दिग्गजों को झटका देते हुए पंजाब चुनाव में एक परिवार के एक ही सदस्य को टिकट देने का फैसला लिया है. बुधवार रात दिल्ली में कांग्रेस स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक हुई, जिसकी अध्यक्षता अजय माकन ने की. इस बैठक में ये फैसला लिया गया. पंजाब कांग्रेस के इंचार्ज हरीश चौधरी ने इस फैसले की पुष्टि की.
बताया जा रहा है कि ये फैसला इसलिए अहम है क्योंकि CM चरणजीत चन्नी के भाई डॉ. मनोहर सिंह बस्सी पठाना से चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं. वे सीनियर मेडिकल अफसर पद से इस्तीफा तक दे चुके हैं. वहीं, कपूरथला से मंत्री राणा गुरजीत बेटे को भी सुल्तानपुर लोधी से चुनाव लड़वाना चाहते हैं. बैठक में कांग्रेस के कुछ नेताओं ने सिद्धू के रवैये को लेकर भी नाराजगी जताई.
पंजाब में कांग्रेस राहुल गांधी से प्रचार का आगाज करवाएगी. इसके लिए दिसंबर के आखिरी हफ्ते में 25 से 30 दिसंबर के बीच बड़ी रैली होगी. ये फैसला भी इस बैठक में किया गया. ये बैठक कैंपेन कमेटी के चेयरमैन सुनील जाखड़ की अगुवाई में हुई. बताया जा रहा है कि कांग्रेस ने ये भी तय कर लिया है कि पंजाब में किसी एक नेता के चेहरे पर चुनाव नहीं होगा. इसे पंजाब कांग्रेस चीफ नवजोत सिंह सिद्धू के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है.
तो क्या ये मान लिया जाए कि पंजाब की तरह हर राज्य में अब एक एक कर कांग्रेस इस फैसले को लागू करेगी? सवाल ये भी है कि क्या कांग्रेस हाईकमान गांधी परिवार पर लगते रहे परिवारवाद के आरोपों से छुटकारा पाना चाहता है? अगर ऐसा है तो क्या इस फैसले को पंजाब से सटे हिमाचल प्रदेश में भी कांग्रेस लागू करेगी? अगर हिमाचल कांग्रेस की बात की जाए तो यहां पारिवारिक तौर पर स्वर्गीय वीरभद्र सिंह के परिवार से दो सदस्य जनप्रतिनिधि के तौर पर चुके गए हैं. एक विक्रमादित्य सिंह जो कि शिमला ग्रामीण से विधायक हैं और दूसरी प्रतिभा सिंह जो कि मंडी लोकसभा से सांसद हैं.
2022 में हिमाचल में भी विधानसभा चुनाव हैं. इसको देखते हुए कांग्रेस हाईकमान यहां किस रणनीति के तहत आगे बढ़ता है? ये देखने वाली बात होगी.