मनी लांड्रिंग प्रीवेंशन एक्ट के तहत दिल्ली हाईकोर्ट ने संपत्ति जब्त करने संबंधी प्रावधान को चुनौती देने वाली 19 याचिकाओं को वीरवार को खारिज कर दिया। हाईकोर्ट ने कहा यह प्रावधान संविधान का उल्लंघन नहीं करता। बता दें कि इन याचिकाओं में हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की पत्नी, बेटी व बेटे की याचिकाएं भी शामिल थीं। इनके अलावा रेत खनन व्यवसायी जेएस रेड्डी और उसके सहयोगी एस. रामचंद्रन व के. रतीनम ने संपत्ति जब्त करने संबंधी प्रावधान की वैधानिकता को चुनौती दी थी।
मनी लांड्रिंग कानून के मुताबिक अगर ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) को लगता है कि संपत्ति जब्त नहीं करने से जांच प्रभावित हो सकती है तो वह संपत्ति को जब्त कर सकता है।जस्टिस एस. मुरलीधर व आईएस मेहता की खंडपीठ ने फैसले में कहा कि मनी लांड्रिंग रोकथाम अधिनियम की धारा पांच के तहत संपत्ति जब्त करने संबंधी प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन नहीं करता।
ED की इस दलील को किया खारिज
कोर्ट ने हालांकि केंद्र सरकार व प्रवर्तन निदेशालय(ED) की उस दलील को खारिज कर दिया कि संपत्ति जब्त करने संबंधी कारण की जानकारी आरोपी को देना कानूनी रूप से अनिवार्य नहीं है। कोर्ट ने कहा-एजेंसी को यह बताना होगा कि इस कार्रवाई के पीछे कारण और उसे ऐसा विश्वास क्यों है कि ऐसा न करने से जांच प्रभावित होगी। हाईकोर्ट ने 19 याचिकाएं सुनवाई योग्य हैं या नहीं, इस मुद्दे पर सुनवाई के लिए 6 फरवरी की तारीख तय की है।
सिंगल जज के समक्ष इस मुद्दे पर सुनवाई होगी। वीरभद्र सिंह के परिजनों ने याचिका दायर कर कहा था कि एजेंसी ने वीरभद्र सिंह व उनकी पत्नी के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करने से पहले ही उनकी कई संपत्ति जब्त कर ली थीं।