हिमाचल में जहां 108-102 नंबर आपातकालीन सेवाओं के लिए बनाई गई है। वहीं कुछ लोग इसका इस्तेमाल परेशान करने के लिए कर रहे हैं। प्रदेश के आपातकालीन सेवा नंबर 108 पर 10 में से 5 कॉल्स ही इमरजेंसी कॉल होती हैं। पिछले एक साल में 150 से अधिक फोन कॉल 108 और 102 पर आई। इनमें अश्लील और अपमानजनक भाषा का प्रयोग किया गया। इस तरह की अनावश्यक कॉल को रोकने के लिए 108 और 102 टीम ने कई जागरुकता अभियान चलाए हैं।
जीवीके ईएमआरआई ने हाल ही में कुछ ऐसे नंबरों की पहचान की है जो इस तरह की कॉल्स करते हैं। जानकारी के मुताबिक इमरजेंसी रिस्पॉंस सेंटर में आई 50 फीसद कॉल आपातकालीन नहीं होती। ये 50 फीसद कॉल करने वाले या तो अभद्र भाषा का प्रयोग करते हैं या मिस गाइड किया जाता है। कई बार उत्तर देने के बाद भी कॉल करने वाला कुछ नहीं बोलता है।
कॉल पर उत्तर न देने की दर बढ़ी
वर्ष 2015 में कॉल का उत्तर न देने की दर 0.19 फीसद थी जो वर्ष 2017 में बढ़कर 0.27 हो गई है। 108 और 102 की कार्यप्रणाली दुरुस्त होने के कारण 99 प्रतिशत कॉल का तत्काल उत्तर दिया जाता है। प्रदेश में समाज के प्रति अपना उत्तरदायित्व समझने वाले नागरिकों ने इस जीवन रक्षक सेवा को बहुत प्रोत्साहित किया, लेकिन साथ ही दूसरी तरफ कुछ शरारती तत्वों ने इस नंबर का दुरुपयोग करने का प्रयास किया है।
मेहूल सुकुमारन स्टेट हेड, जीवीके ईएमआरआई ने प्रदेश के लोगों से अपील की है कि वे लोगों की पूरी लग्न व तत्परता से सहायता करते हैं, उनकी सेवाएं और ज्यादा प्रभावी व अच्छी होंगी यदि अनावश्यक कॉल की संख्या में कमी आ जाए। उनका लोगों से निवेदन है कि 108 और 102 पर तब ही कॉल करें जब वास्तव में कोई आपातकालीन स्थिति हो।