हिमाचल प्रदेश मिड डे मील वर्कर 23-24 फरवरी को अपनी मांगों को लेकर संपूर्ण हड़ताल पर रहेंगे। इसका निर्णय शनिवार को तारा चंद भवन में संपन्न हुई मिड डे मील वर्करज यूनियन संबंधित सीटू की जिला कमेटी बैठक में लिया गया। बैठक में जिला प्रभारी और सीटू के जिला सचिव गुरदास वर्मा भी मौजूद रहे। बैठक में इस बात पर चिंता जताई गई कि मिड डे मील वर्कर पिछले 17 सालों से स्कूलों में भोजन बनाने का काम कर रहे हैं लेकिन उन्हें मानदेय के नाम पर महज 2600 रूपए मिलते हैं जिससे अब उनका गुजारा संभव नहीं हैं।
कोरोना काल में भी इन वर्करों ने घर घर तक बच्चों को राशन पहुंचाया, स्कूलों में दूसरे काम जैसे साफ सफाई, झाड़ियां काटना, डाक पहुंचाना आदि भी किया मगर न तो प्रदेश सरकार और न ही केंद्र की सरकार ने कभी उनकी मांग की ओर ध्यान दिया। यह योजना केंद्र सरकार के तहत आती है मगर पिछले दस सालों से केंद्र सरकार ने एक रूपया भी इनका मानदेय नहीं बढ़ाया। उपर से सरकार ने 25 बच्चों की शर्त थोप दी कि जहां पर स्कूल में 25 बच्चों से कम होंगे वहां से एक कार्यकर्ता को निकाला जाएगा। इससे पहले चाहे कितने भी बच्चे होते तो दो ही कार्यकर्ता इसके लिए होते थे। इसके अलावा उन्हें केवल दस महीने का ही मानदेय दिया जा रहा है, पूरे साल का वेतन देने की मांग को भी सरकार ने अभी तक नहीं माना।
यूनियन मांग कर रही है कि स्कूलों में जो मल्टी पर्पज वर्कर रखे जा रहे हैं उनमें मिड डे मील वर्कर को प्राथमिकता मिलनी चाहिए मगर इस मांग को भी माना नहीं जा रहा है। मानदेय भी तीन चार महीनों के बाद दिया जा रहा है, महिलाओं को प्रसूति अवकाश भी नहीं दिया जा रहा है। इन्हें छुट्टियों का भी कोई प्रावधान नहीं है। इन सब मांगों को लेकर ही 23 व 24 फरवरी को मिड डे मील वर्कर संपूर्ण हड़ताल पर रहेंगे। पूरे प्रदेश में जिला व खंड स्तर पर प्रदर्शन होंगे व 24 फरवरी को विधानसभा का घेराव भी किया जाएगा। इस बैठक में बख्शी राम चच्योट, अहल्या, तारा देवी, कमला देवी, बबली बल्ह, डोलमा, बिमला सरकाघाट, व्यासा, शीला देवी, भाग चंद, कमला देवी सदर एक के अलावा 35 प्रतिनिधियों और पदाधिकारियों ने भाग लिया।