मंडी नगर के अधिष्ठाता बाबा भूतनाथ मंदिर में 29 जनवरी तारारात्रि से मक्खन चढ़ाने की प्रक्रिया शुरू होगी। इस दौरान बाबा भूतनाथ मंदिर में स्वयंभू शिवलिंग पर एक महीने तक जलाभिषेक न करके मक्खन रूपी घृतकंबल चढ़ाने की प्राचीन परंपरा निभाई जाएगी। इसको लेकर पहले दिन शिवलिंग पर 21 किलोग्राम देशी गाय का शुद्घ मक्खन चढ़ाया जाएगा। इसके लिए बाबा भूतनाथ मंदिर के महंत देवानंद सरस्वती द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले भक्तों के सहयोग से मक्खन इकट्ठा करने की तैयारियां शुरू कर दी हैं। 29 जनवरी से लेकर अंतरराष्ट्रीय महाशिवरात्रि तक भगवान शिव को जल न चढ़ाकर मक्खन ही चढ़ाया जाएगा। शिवरात्रि के दिन भगवान का जलाभिषेक के साथ श्रृंगार किया जाएगा।
बाबा भूतनाथ मंदिर में मक्खन चढ़ाने की परंपरा 1527 ई से मंडी नगर की स्थापना से चली आ रही है। जिसका आज भी बखूबी निर्वहन किया जा रहा है। मक्खन से पूरे एक महीने शिवरात्रि के दिन तक देशभर के अलग-अलग प्राचीन मंदिरों के रूपों में बाबा का श्रृंगार किया जाता है। जिसे देखते ही श्रद्घालुओं के मन को छू जाता है। और बड़ी श्रद्घाभाव से श्रद्घालु भगवान के दर्शन के लिए इंतजार करते है। यह परंपरा शिवरात्रि के एक महीने से शुरू हो जाती है। बाबा भूतनाथ मंदिर में स्वयंभू शिवलिंग पर मक्खन चढ़ाने की परंपरा निभाने के लिए आज हर श्रद्घालु परंपरा का हिस्सा बनता है। लेकिन प्राचीन समय में राजघराने के द्वारा ही मक्खन चढ़ाया जाता था।
मान्यता है कि मक्खन को घृत कंबल के रूप में शिव भगवान को चढ़ाया जाता था। आध्यात्मिक दृष्टि से भगवान को 11 माह तक जल चढ़ाया जाता है और एक माह तक जल की गागर उतारकर भगवान को मक्खन चढ़ाया जाता है। बाबा भूतनाथ मंदिर के महंत देवानंद सरस्वती ने बताया कि 29 जनवरी तारारात्रि को मक्खन चढऩे की प्राचीन परंपरा निभाई जाएगी। इसके लिए पहले दिन 21 किलो ग्राम शुद्घ देशी गाय के मक्खन से श्रृंगार किया जाएगा। अगर कोविड का प्रकोप अधिक होगा तो सरकार और जिला प्रशासन की गाइड लाइन के आदेशानुसार ही मंदिर में कार्यक्रम होगा। और सुक्षम रूप में ही परंपरा का निर्वहन किया जाएगा।