मकर संक्रांति के अवसर पर तीर्थ स्थल तत्तापानी में न संक्रांति स्नान और न ही तुलादान हो रहा है। सतलुज नदी के साथ गर्म पानी के चश्मे कौल डैम में जलमग्न होने से इस तीर्थ स्थल पर राहु की दशा को शांत नहीं किया जा रहा है। तत्तापानी में एक महीने पहले संक्रांति की तैयारियां शुरू हो जाती थी, लेकिन अब यहां गरम पानी के चश्में दूर दूर तक नजर नहीं आते।
करीब डेढ़ सौ फीट पीपल का पेड़ और भगवान परशुराम का मंदिर कौल डैम के पानी में समा गया है। देश – प्रदेश में इस तीर्थ स्थल को छोटा कुंभ के नाम से भी जाना जाता है। मकर संक्रांति के एक सप्ताह पहले यहां स्नान होना शुरू हो जाता था।
बिलासपुर, रामपुर, अर्की, ठियोग, चौपाल, क्योंथल, ठियोग, बलसन के लोग संक्रांति के सप्ताह पहले ही यहां पहुंचना शुरू हो जाते थे। श्रद्धालु जगह जगह खिचड़ी और घी का भंडारा लगाते थे, तेल के तलुवे के साथ इस तीर्थ स्थल पर मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता था। मकर संक्रांति के दिन यहां 10 किलोमीटर तक जाम लगता था, लोग सड़क के किनारे गाड़ियां खड़ी करके यहां पवित्र स्नान के लिए पैदल पहुंचते थे। लेकिन विकास की भेंट ये अद्भुत स्थल भी चढ़ गया।