Follow Us:

‘जब बिन बुलाए पाकिस्तान बिरयानी खाने गए थे PM, उस वक़्त नहीं लगा था डर’

पी. चंद |

प्रधानमंत्री की सुरक्षा में चूक पर कांग्रेस ने भाजपा नेताओं के मीडिया ट्रायल पर खेद प्रकट किया है। प्रदेश अध्यक्ष कुलदीप राठ़ौर ने कहा कि भाजपा इस घटनाक्रम पर राजनैतिक लाभ लेने का प्रयास कर रही है। अब जबकि सुप्रीम कोर्ट ने सेवानिवृत्त जज की अध्यक्षता में 5 सदस्यीय समिति का गठन कर दिया है, उसके बाद भी भाजपा की इस घटना पर बयानबाजी और मीडिया ट्रॉयल पूरी तरह बेबुनियाद और देश को गुमराह करने का एकमात्र प्रयास कर रही है।

राठौर ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के उस बयान पर जिसमें उन्होंने एक कथित स्टिंग ऑपरेशन के बाद इसे खूनी साजिश करार दिया है पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि किसी भी जांच के निष्कर्ष से पहले इस प्रकार का आरोप भाजपा की किसी भी तथ्य व सच्चाई को प्रभावित करने की मंशा को दिखाता है। मुख्यमंत्री का यह कहना कि प्रधानमंत्री के काफिले से पाकिस्तान की सीमा 10 किलोमीटर दूर थी। लेकिन उन्हें ये भी कहा कि जब प्रधानमंत्री बगैर बुलाये पाकिस्तान बिरयानी खाने गए थे, उस समय उन्हें पाकिस्तान से कोई डर नहीं था।

आज प्रधानमंत्री अपने ही देश मे पाकिस्तान से डर रहें है। भाजपा जांच की प्रभावित करने की असफल कोशिश कर रही है। प्रधानमंत्री की सुरक्षा को लेकर भाजपा नेताओं की बयानबाजी देश की ज्वलंत समस्याओं से लोगों का ध्यान हटाने का एकमात्र प्रयास है और इस घटनाक्रम की पूरी सच्चाई सुप्रीम कोर्ट की बनाई कमेटी की जांच रिपोर्ट के बाद देश के सामने आ जायेगी।

विश्वविद्यालय कुलपति पर लगाए आरोप

राठ़ौर ने विश्वविद्यालय कुलपति पर आरोप लगाया है कि वह भाजपा के दबाव में काम कर रहें है।उन्होंने एनएसयूआई के तीन छात्र नेताओं के विवि.से निष्कासन पर सवाल उठाते हुए कहा है कि कुलपति का यह निर्णय पूरी तरह अलोकतांत्रिक और पूर्वाग्रह से ग्रसित है और इसे कदापि सहन नहीं किया जा सकता है। छात्र शांति पूर्ण ढंग से मिलने गए थे, लेकिन कुलपति ने तानाशाही रवैया अपनाया है।

राठौर ने कहा है कि अगर एनएसयूआई के इन छात्रों का निष्कासन जल्द रद्द न हुआ तो कांग्रेस चुप बैठने वाली नहीं है। कांग्रेस को छात्रहितों के सरंक्षण के लिये किसी भी आंदोलन के लिये प्रेरित न करें। विवि. को राजनीति का अखाड़ा नहीं बनाया जाना चाहिए, इसलिए कुलपति को विवि. में छात्रहितों से जुड़े मसलों पर गम्भीरता से विचार करते हुए उन्हें हल करने पर बल दें।