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जिनकी निगरानी में कट गए सैकड़ों पेड़, मंत्री करेंगे उन्हें सम्मानित!

समाचार फर्स्ट डेस्क |

शिमला की कोटी रेंज के शलोटी गांव में 400 से ज्यादा हरे पेड़ काट दिए गए, लेकिन वन मंत्री जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ वाजिब कदम उठाने की बजाय उन्हें सम्मानित करने की बात कह गए। वन मंत्री को इतना भी ख्याल नहीं आया कि मामले में अभी पुलिस ने जांच भी पूरी नहीं की है। हालांकि, मीडिया से बातचीत में मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर ने इसमें साज़िश की भी शंका जाहिर की है… लेकिन, तमाम घटनाक्रमों पर कुछ बुनियादी सवाल उठते हैं,

  1. जिन अधिकारियों की नाक के नीचे सैकड़ों पेड़ काट दिए गए, क्या उनके खिलाफ लापरवाही का मामला नहीं बनता?
  2. मामले में जांच अभी तक पूरी नहीं हुई है, फिर वन मंत्री ने कैसे सम्मानित किए जाने वाले अधिकारियों का चुनाव कर लिया?
  3. अगर यह सरकार को बदनाम करने की साज़िश होती है भी है, तो विभाग ऐसी साजिशों से निपटने के लिए क्या प्लान बनाया है?

क्या था पूरा मामला?

शिमला की कोटी रेंज के शलोट गांव में 400 से ज्यादा हरे-भरे पेड़ काटने का मामला सामने आया। पेड़ कटने की जानकारी मिलने पर मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर मौके पर पहुंचे। उनके साथ वन विभाग के कर्मचारी भी वहां मौजूद थे। उन्होंने मंत्री को बताया कि गार्ड से शिकायत मिलने पर तुरंत कार्रवाई की गई, तभी मामला सामने आया। मंत्री ने भी अफसरों की बात पर यकीन किया और उनकी पीठ थपथपाई। इस दौरान मंत्री महोदय ने मीडिया से बातचीत में इस घटनाक्रम को 'साजिश' भी करार दिया। उन्होंने विभाग को निर्देश दिए कि जंगल में गश्त बढ़ाए जाएं और तुरंत मामले में कार्रवाई की जाए।

क्या कह रही है पुलिस?

डीएसपी सिटी दिनेश शर्मा के मुताबिक रविवार सुबह से पुलिस टीम मौके पर मौजूद रही और देर शाम तक कार्रवाई जारी रही। उन्होंने कहा है कि वारदात वाली जगह पर मिले स्लीपर और लकड़ियों की नाप ली जा रही है। वहीं,  जिस शख्स पर आरोप लगा है, उसका कहना है कि उसने अपनी जमीन पर पेड़ काटे। हालांकि यह भी जांच के बाद स्पष्ट हो जाएगा कि जमीन वन विभाग की है या निजी, मगर नियमों के मुताबिक कोई अपनी जमीन से भी इस तरह से पेड़ नहीं काट सकता।

रेंज अधिकारी और गार्ड होंगे सम्मानित

इतने बड़े पैमाने पर हरे पेड़ काटे जाने के बाद मंत्री वन रक्षक और रेज अधिकारी को राज्य-स्तरीय समारोह में सम्मानित करना चाहते हैं। वैसे ईमानदार अधिकारियों को वाजिब सम्मान मिलना चाहिए, लेकिन यह जरूर होता अगर जांच प्रक्रिया के बाद यह कदम उठाए जाते। जिन अधिकारियों के क्षेत्र में यह कारगुजारी हुई है उन्हें बिना जांच क्लिन-चिट क्यों दी जा रही है।