देश में बेरोजगारी लगातार बढ़ती जा रही है। नौजवान आए दिन इस बढ़ती बेरोजगारी से परेशान हैं। और तो और आज की सरकारें भी बढ़ती बेरोजगारी पर ज्यादा ग़ौर नहीं करतीं। ज्यादा दुख तो तब होता है जब पढ़े लिखें हुए युवाओं को भी फ्री बैठना पड़े। कुछ बड़े राज्यों में बेरोजगारी इतनी बढ़ गई है कि ग्रेजुएट कर चुके हर दूसरे या तीसरे युवा के पास नौकरी नहीं है। इसका खुलासा हुआ है रिपोर्ट में।
जी हां, गैर-सरकारी संस्था सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) ने इस पर कुछ ताजा आंकड़ों जारी किए हैं। इनके मुताबिक, राजस्थान में बेरोजगारी सबसे ज्यादा है। आबादी के लिहाज से ये राज्य बेशक देश में 7वें नंबर पर है। लेकिन राजस्थान में हर दूसरा ग्रेजुएट बेरोजगार है। सिर्फ ग्रेजुएट बेरोजगारों की संख्या 20.67 लाख, यानी देश भर में सबसे ज्यादा है। कुल बेरोजगारों की संख्या में भी राजस्थान ही सबसे ज्यादा 65 लाख पर है। देश के सबसे ज्यादा आबादी वाले राज्यों की तुलना में यह डेढ़ से तीन गुना तक ज्यादा है।
इसके अलावा बिहार, झारखंड और हरियाणा में पढ़े-लिखे लोगों में बेरोजगारी दर ज्यादा है। तीनों राज्यों में हर तीन में से एक ग्रेजुएट बेरोजगार है। जबकि कुल बेरोजगारों के मामले में भी बिहार राजस्थान के बाद दूसरे नंबर है। यहां कुल 38.84 लाख लोग काम की तलाश कर रहे हैं। इसके बाद सबसे बड़े राज्य UP में 7 में से एक ग्रेजुएट बेरोजगार है। सबसे ज्यादा बेरोजगार ग्रेजुएट के मामले में UP राजस्थान के बाद दूसरे नंबर पर है। जबकि बेरोजगारों की कुल संख्या के मामले में UP, राजस्थान और बिहार के बाद तीसरे स्थान पर है।
उत्तरप्रदेश में ग्रेजुएशन तक पढ़ाई कर चुके 13.89 लाख युवा काम की तलाश कर रहे हैं। ध्यान देने वाली बात है कि UP की आबादी बिहार से दोगुनी और राजस्थान से तीन गुनी ज्यादा है। इसी तरह गुजरात में हर 13 ग्रेजुएट में एक बेरोजगार है। बड़े राज्यों में मध्यप्रदेश में हालात कुछ बेहतर है। यहां हर 9 में से एक ग्रेजुएट बेरोजगार है। कुल बेरोजगारी में भी गुजरात और मध्यप्रदेश की स्थिति अच्छी है।
3 करोड़ से ज्यादा बेरोजगार
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) के ही आंकड़ों के मुताबिक, सितंबर-दिसंबर 2021 के दौरान देश में बेरोजगारों की कुल संख्या 3.18 करोड़ रही। इनमें 3.03 करोड़ की उम्र 29 साल से कम है। यह संख्या 2020 में देशभर में लगे लॉकडाउन के दौर से भी ज्यादा है। तब देश में 2.93 करोड़ युवा बेरोजगार थे।
खास बात यह है कि 3.03 करोड़ युवा तो वे हैं, जो काम की तलाश में हैं। 1.24 करोड़ युवा ऐसे भी हैं, जो रोजगार तो चाहते हैं, लेकिन थककर काम नहीं खोज रहे। यदि इन्हें भी शामिल कर लें तो युवा बेरोजगारों की संख्या 4.27 करोड़ हो जाती है। CMIE बेरोजगारी का डेटा जारी करने वाली इकलौती संस्था है। इसके डेटा का इस्तेमाल रिजर्व बैंक समेत केंद्र सरकार के विभाग भी करते हैं।