पौंग झील में इस साल की वन्यजीव प्राणी विभाग की विदेशी परिंदों की दो दिन चली गणना में 110 प्रजातियों की एक लाख 10 हजार 309 विदेशी परिंदे पाए गए। विभाग के डीएफओ राहुल रहाणे ने बताया कि दो दिन की गणना में विभाग की 15 टीमों ने इस साल पौंग झील में विदेशी परिंदों की वन्यजीव अभयारण्य में गणना पूरी की, जिसमें इस बार झील की इस गणना में 110 प्रजातियों की कुल संख्या 110309 है। इसमें पानी पर निर्भर प्रवासी पक्षी 59 प्रजातियों में से 100018 हैं और पानी पर निर्भर रहने वाले पक्षी 51 प्रजातियों में से 10291 हैं।
इसमें प्रमुख प्रजातियों, बार-हेडेड गीज़ की कुल जनसंख्या 47,598 है और अन्य प्रमुख प्रजातियां यूरेशियन कूट (23143), नॉर्दर्न पिंटेल (4665), कॉमन टील (4558), कामन पोचार्ड (4493), यूरेशियन विजोन (4149), लिटिल कॉर्मोरेंट (3616), नॉर्दर्न शॉवेलर (2869) हैं। और ग्रेट कॉर्मोरेंट (2100)। झील में रिपोर्ट की गई अन्य असामान्य प्रजातियां ग्रेटर व्हाइट-फ्रंटेड गूज, लेसर व्हाइट फ्रंटेड गूज, रेड क्रेस्टेड पोचार्ड, फेरुगिनस पोचार्ड, पाइड एवोसेट, नार्दर्न लैपविंग, पेरेग्रीन फाल्कन, कामन केस्ट्रेल, यूरेशियन हाबी, यूरेशियन स्पूनबिल आदि हैं।
डीएफओ रहाणे ने बताया कि इस बार सिर वाले हंस की गणना की गई जिसमें लॉर्क्स और पिपिट्स के आकलन के दौरान, लॉर्क्स और पिपिट्स की 8 प्रजातियों की पहचान की गई। उनकी गणना भी की गई जिसमें अनुमान के अनुसार, लॉर्क्स और पिपिट्स के बीच, सैंड लॉर्क्स की संख्या सबसे अधिक थी। अर्थात 1222, क्रेस्टेड लॉर्क (331), ओरिएंटल स्काईलॉर्क (265), यूरेशियन स्काईलॉर्क (231), धान के खेत पिपिट (181), टैनी पिपिट (21), रिचर्ड्स पिपिट (6) और रोज़ी पिपिट (2) पाये गए।
वहीं, पक्षी प्रेमियों की माने तो पिछले तीन चार दिन से ठंड बढ़ने से झील में और कई प्रजातियों के परिंदे दस्तक दे सकते हैं। इस माह के अंत तक परिंदों की संख्या बढ़ सकती है। आजकल पौंग झील परिंदों की अटखेलियां देखने के लिये पर्यटकों की संख्या भी बढ़ने लगी है।
उधर, वन्यजीव प्राणी की पीसीसीएफ अर्चना शर्मा और सीसीएफ (उत्तर) धर्मशाला उपासना पटियाल ने बताया कि पक्षियों की कुल आबादी के साथ-साथ पक्षियों की प्रजातियों में पिछले साल की तुलना में वृद्धि देखी गई है। परिंदों की संख्या में 108578 से 110309 तक वृद्धि हुई है जबकि प्रजातियां 96 से बढ़कर 110 हो गई हैं। बार हेडेड गीज़ की आबादी में सबसे अधिक उल्लेखनीय वृद्धि पिछले वर्ष की तुलना में 40570 से बढ़कर 47598 हो गई है। प्रजातियों की कुल संख्या में भी वृद्धि हुई है जो पिछले वर्ष की तुलना में 14 प्रजातियां अधिक हैं।