मौसम की बेरूखी की मार अब बागवानों पर पड़ रही है। प्रदेश में बर्फबारी नहीं होने के चलते सेब बागवान परेशान हैं। चिलिंग आवर्स पूरे नहीं होने पर सेब बगीचों पर अक्टूबर और नवंबर के बाद अब जनवरी में वूली एफिड ने फिर हमला बोल दिया है। बर्फबारी नहीं होने की वजह से सेब के बगीचों को सही नमी नहीं मिल पा रही है। जिसके कारण सभी काम अटकें पड़े हैं। लोग तौलिएं तक नहीं बना पा रहे। गर्मी होने से सेब के पेड़ों पर कई तरह के रोग लग रहे हैं। वूली एफिड भी बगीचों में तेजी से फैल रहा है।
क्या है वूली एफिड?
वूली एफिड सेब के पेड़ की टहनी से रस चूसने वाले कीट हैं। ये पौधे में पाए जाने वाले तरल पदार्थ पर इकट्ठा हो जाते हैं। ये कॉटन या ऊन की तरह दिखने वाला एक सफेद रंग की रूईं जैसा पदार्थ छोड़ते हैं। इनमें वयस्क कीट एक से दूसरी जगह के लिए उड़ सकते हैं। दूसरे स्थान पर बैठकर बड़ी मात्रा में अंडे देते हैं। पहली शाखा पर इन कीटों के लारवा बड़ी मात्रा में कॉटन की तरह का पदार्थ तैयार करते हैं, जिससे कि शिकार करने वाले जीवों से बचाव हो सके।
वूली एफिड की कई प्रजातियां
वूली एफिड की कई प्रजातियां हैं। सेब के पेड़ों पर एरियोसोमा लेरिजेरम नाम का वूली एप्पल एफिड होता है। इनके संक्रमण से पेड़ पर पाउडरी मिल्डयू फंगस का भी प्रकोप हो जाता है। ऐसे संक्रमण से पेड़ रोगी हो जाता है और सूखने लगता है। बागवानी के प्रतिकूल मौसम में इसका असर ज्यादा हो जाता है। कीट सेब के पेड़ों से पूरा रस चूस लेते हैं।