कर्नाटक में हिजाब को लेकर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। हिजाब पर बैन के खिलाफ अपील करने वाली छात्राओं के वकील देवदत्त कामत ने कहा कि हिजाब पर बैन लगाने का सरकारी ऑर्डर गैर जिम्मेदाराना है। उन्होंने कहा कि सरकार का आदेश संविधान के आर्टिकल 25 के खिलाफ है और यह कानून वैध नहीं है। आर्टिकल 25 में धार्मिक मान्यताओं के पालन की आजादी दी गई है।
कामत ने CJI की बेंच के सामने जारी सुनवाई में सवाल उठाया कि जब सेंट्रल स्कूल में हिजाब पहनने की इजाजत है, तो राज्य सरकार के स्कूलों में क्यों नहीं? कामत ने कोर्ट को बताया कि सरकारी आदेश में कहा गया है कि हेड स्कार्फ यानी हिजाब पहनने का मुद्दा आर्टिकल 25 में कवर नहीं होता है। इसे यूनिफॉर्म में शामिल मानने या न मानने का फैसला कॉलेज डेवलपमेंट कमेटी पर छोड़ा जाना चाहिए।
कामत ने कहा कि हिजाब के बारे में फैसला लेने का अधिकार कॉलेज कमेटियों को सौंपना पूरी तरह गैरकानूनी है। इधर, इस मामले के मीडिया कवरेज को लेकर कोर्ट ने कहा- हम मीडिया से रिक्वेस्ट करते हैं कि वो इस मुद्दे पर समझदारी दिखाए।
पहले दिन ही हिजाब पहनकर स्कूल पहुंचीं स्टूडेंट्स को स्टाफ ने एंट्री देने से इनकार कर दिया। इसको लेकर स्टाफ और स्टूडेंट्स के पेरेंट्स के बीच बहस भी हुई। जानकारी के मुताबिक, मांड्या के रोटरी स्कूल की टीचर ने छात्राओं को स्कूल में एंट्री करने से पहले हिजाब उतारने के लिए कहा। कुछ पेरेंट्स ने इसका विरोध किया। वहीं, कुछ लोगों का कहना था कि लड़कियों को हिजाब के साथ स्कूल में एंट्री दी जाए, वे क्लास में इसे उतार देंगी, लेकिन उन्हें स्कूल के अंदर नहीं जाने दिया गया। इसको लेकर पेरेंट्स और टीचर्स के बीच कहासुनी हो गई।
हिजाब विवाद के बाद राज्य में आज से 9वीं और 10वीं के स्कूल फिर से खुल गए हैं। CM बसवराज बोम्मई ने भरोसा जताया है कि राज्य में हालात फिर से सामान्य हो जाएंगे और शांति के साथ छात्र पढ़ाई कर सकेंगे। इस मामले में उन्होंने शिक्षा मंत्री बीसी नागेश से स्कूल और कॉलेजों की स्थिति पर रिपोर्ट मांगी है।
वहीं, उडुपी जिला प्रशासन ने सभी हाई स्कूलों के आसपास के इलाकों में सोमवार से लेकर 19 फरवरी तक धारा 144 लागू कर दी है। आदेश के अनुसार, स्कूलों के इस दायरे के भीतर पांच या इससे अधिक लोगों के एकत्रित होने, प्रदर्शन, रैलियों, नारेबाजी, भाषण देने पर सख्त पाबंदी रहेगी।