शतप्रतिशत विद्युतीकरण वाले हिमाचल प्रदेश में यदि यह खबर आए कि तीन गांवों के 200 लोग पिछले 25 दिनों से बिना बिजली के रह रहे हैं, मोबाइल के इस युग में उनके मोबाइल चार्ज नहीं हो रहे हैं, कोई टीवी नहीं देख पा रहा है, रात को मोमबति और लैंप की रौशनी में दिनचर्या निपटानी पड़ रही है, बच्चों की पढ़ाई बाधित हो रही है तो कोई विश्वास नहीं करेगा, इसे अंधेरगर्दी और कुव्यवस्था की हद ही कहा जाएगा। मगर यह बात सौ फीसदी सच है। मंडी सदर के ही प्रमुख कस्बे की पंचायत पंडोह जो मंडी मनाली मार्ग पर स्थित है के तीन गांव ऐसे हैं जहां पर पिछले 25 दिनों से बिजली ही नहीं है।
पंडोह वही कस्बा है जहां से 1977 में उस वक्त एशिया के सबसे बड़ी 960 जल विद्युत बीएसएल परियोजना का मुख्य बांध बना है औ ब्यास की जलधारा को मोड़कर डैहर में पावर हाउस बनाया गया है। इसी पंचायत के तीन गांवों बथली, धड़ोल और सकरैणी में 25 दिनों अंधेरा छाया है। विद्युत परिषद की कार्यप्रणाली से दुखी व परेशान लोगों ने सोमवार को पंडोह स्थित विद्युत परिषद के सहायक अभियंता के कार्यालय में धरना दिया तथा अल्टीमेटम दिया कि यदि तीन दिन में इस बिजली को बहाल नहीं किया तो लोग सभी तारों और खंबों को उखाड़ कर धरने पर बैठ जाएंगे।
पंचायत प्रधान गीता देवी ने बताया कि तीन गांव अंधेरे में हैं। 25 दिनों से बिजली नहीं है मगर बिजली बोर्ड कर्मी कोई कदम नहीं उठा रहे हैं। इधर, सहायक अभियंता राजेश अहीर ने माना कि इन तीन गांवों में बिजली की सप्लाई बाधित है। उन्होंने बताया कि ट्रांसफार्मर के जल जाने से ऐसा हुआ है। जो वैकल्पिक व्यवस्था की गई थी वह सुचारू नहीं चल पाई है। जल्द ही ट्रांसफार्मर की व्यवस्था की जाएगी और फिर बिजली सुचारू कर दी जाएगी।