चुनाव को देखते हुए सरकारें कर्मचारियों को खुश करने के लिए बड़े बड़े फैसले ले रही है। जहां एक हिमाचल में कर्मचारी पुरानी पेंशन बहाल करने की मांग कर रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर राजस्थान सरकार ने अपना मास्टरस्ट्रोक चलते हुए पुरानी पेंशन बहाल करने का ऐलान कर दिया है। अब सवाल ये है कि क्या चुनावी साल में हिमाचल के मुख्यमंत्री भी सरकारी कर्मचारियों को बड़ा तोहफा देते हुए पुरानी पेंशन बहाल करेंगे या फिर कर्मचारियों को ऐसा कोई तोहफा नहीं मिलने वाला है?
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आज विधानसभा में वर्ष 2022-23 का बजट पेश करते प्रदेश में 1 अप्रेल 2004 के बाद नियुक्त कार्मिकों के लिए पुरानी पेंशन बहाली की घोषणा की है। सीएम गहलोत ने कर्मचारियों की वेतन कटौती का 2017 का फैसला वापस लेने का ऐलान भी किया। सीएम गहलोत ने कहा कि सरकार के इस निर्णय से 1000 करोड़ का राजकोष पर अतिरिक्त भार पड़ेगा। सीएम ने वंचित कर्मचारियों को 7वें वेतनामान देने की घोषणा भी की है। सीएम गहलोत ने इस निर्णय का कर्मचारी संगठनों ने स्वागत किया है।
कर्मचारी नेता राकेश कुमार मीणा, सचिवालय कर्मचारी संघ के अध्यक्ष अभिमन्यु शर्मा और सचिवालय अधिकारी संघ के अध्यक्ष मेघराल पंवार एवं सहायक कर्मचारी संघ के अध्यक्ष रामप्रसाद ने सीएम गहलोत के निर्णय के स्वागत किया है। इन सभी कर्मचारी नेताओं का कहना है कि सीएम ने पुरानी पेंशन योजना बहाली की घोषणा करके कर्मचारियों को बड़ी राहत प्रदान की है। उल्लेखनीय है कि कर्मचारी लंबे समय से पुरानी पेंशन योजना बहाल करने की मांग कर रहे थे।
सीएम गहलोत ने राज्य के विभिन्न विभागों में संविदा पर कार्यरत कार्मिकों के मानदेय में 20 प्रतिशत मानदेय बढ़ाने की घोषणा की है। सीएम गहलोत के इस निर्णय से मानदेय पर आधारित कार्मिकों को बड़ी राहत मिली है।
सीएम गहलोत ने कहा कि उनकी सरकार समाज के सभी वर्गों को ध्यान रखती है। राज्य के युवाओं के अधिक से अधिक से रोजगार के अवसर मिले। इस दिशा में उनकी सरकार पूरा प्रयास कर रही है। सीएम ने कहा कि राज्य में 10 हजार होम गार्डस की भर्ती की जाएगी। ताकि प्रदेश के युवाओं को अधिक से अधिक रोजगार मिल सके। सीएम की इस घोषणा से बेरोजगार युवकों को बड़ी राहत मिली है।