हिमाचल प्रदेश के आउटसोर्स कर्मचारियों ने भी सरकार के खिलाफ़ मोर्चा खोल दिया है। कर्मचारियों ने सीटू के बैनर तले स्थायी नीति की मांग को लेकर विधान सभा का घेराव किया और सरकार के खिलाफ़ नारेबाजी की। सैंकड़ों कर्मचारियों ने शिमला पंचायत भवन से विधान सभा तक रैली निकाली। हालांकि, पुलिस द्वारा उन्हें चौड़ा मैदान में बरिगेट्स लगाकर रोक लिया गया। थोड़ी देर तक बरिगेट्स के पास पुलिस और कर्मियों द्वारा जोर आजमाइस भी की गई।
आउटसोर्स कर्मचारी संघ के अध्यक्ष शैलेंद्र शर्मा ने कहा कि पिछले कई सालों से आउटसोर्स कर्मचारियों का शोषण हो रहा है। बहुत कम वेतन में कर्मचारी विभागों ने अपनी सेवाएं दे रहे हैं। कंपनिया कर्मचारियों को पूरा लाभ नहीं दे रही है। सरकार ने बजट सत्र के दौरान स्थायी नीति बनाने का आश्वासन दिया था लेकिन सरकार ने केवल साढ़े दस हजार न्यूनतम वेतन देने को घोषणा की है जबकि 26 हजार न्यूनतम वेतन होना चाहिए।
हिमाचल प्रदेश में 37 हज़ार के करीब आउटसोर्स कर्मी है, जिनको क़रीब 125 कंपनियां संचालित करती हैं। इनमें से कई कंपनियों के पास तो कर्मचारियों का डेटा तक नहीं हैं। ऐसे में कर्मचारी अपने लिए स्थाई नीति की मांग के साथ-साथ 26 हज़ार न्यूनतम वेतन की मांग उठा रहे हैं।