ग्रामीणों के उत्पादों को DRDA धर्मशाला अब ऑनलाइन बेचेगा। लाखों रूपए कर्ज लेने और दुर्लभ सामान बनाने के बाद घरेलू सामान का न बिकना गरीबों और घरेलू उद्योग में लगे लोगों की बड़ी चिंता थी। अब ग्रामीणों को सामान बेचने की इस चिंता से सरकार निजात दिलाने जा रही है। ग्रामीणों के हाथ से बनाए गए दुर्लभ उत्पादों को बेचने के लिए फेरियां नहीं लगानी पड़ेंगी।
ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग ने ग्रामीणों के उत्पादों को ऑनलाइन बेचने के लिए वेबसाइट तैयार की है और इसे जल्द लांच करने की तैयारी है। लोगों को अब घर बैठे दुर्लभ और हाथ से तैयार वस्तुएं मिल सकेंगी और लोग ऑनलाइन मांग कर सकेंगे। उत्पादों को बेचने के लिए ट्रायल भी शुरूकर दिया है। इस समय प्रदेश में 16 हजार स्वयं सहायता समूह है।
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत स्वयं सहायता समूहों को तीन से सात फीसदी ब्याज पर सरकार ऋण दे रही है।
इस ऋण को लेकर उत्पाद तैयार करने पर भी उत्पाद नहीं बिक रहे हैं। ऐसे में ऋण लौटाना गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों के स्वयं सहायता समूहों को भारी पड़ रहा है। यही कारण है कि ग्रामीणों के उत्पादों को ऑनलाइन बेचने की तैयारी है। जून 2011 में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन की शुरुआत की थी।
इसे स्वयं सहायता समूहों तथा संघीय संस्थानों के माध्यम से देश के 600 जिलों, 6000 खंडों, 2.5 लाख ग्राम पंचायतों और छह लाख गांवों के सात करोड़ ग्रामीण गरीब परिवारों को इसके दायरे में लाया जाना है। 8 से 10 साल की अवधि में उन्हें आजीविका के लिए साधन जुटाने में सहयोग देना है। ग्रामीणों की ओर से तैयार उत्पादों को बेचने के लिए ऑनलाइन प्रावधान किया जा रहा है। इसके लिए वेबसाइट तैयार की जा रही है। स्वयं सहायता समूहों को इससे सीधे मदद मिलेगी। वेबसाइट को जल्द लांच कर दिया जाएगा।