केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा के गृह जिला बिलासपुर में स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर जनता में रोष है। पूरे जिले में वर्तमान में करीब 50 स्वास्थ्य संस्थान है जिनमें डॉक्टरों के 108 पद स्वीकृत हैं जबकि इस समय 49 पद रिक्त चल रहे हैं। जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था 59 डॉक्टरों के भरोसे है। करीब 15 छोटे और बड़े स्वास्थ्य केंद्र ऐसे हैं जिनमें एक भी डॉक्टर नहीं है। जिले के मुख्य क्षेत्रीय चिकित्सालय बिलासपुर में भी डॉक्टरों के 25 पद स्वीकृत हैं लेकिन वहां पर भी 8 पद खाली चल रहे हैं।
चिकित्सकों की कमी के चलते जिला बिलासपुर की चार लाख की आबादी अपनी छोटे-छोटे इलाज के लिए भी पंजाब और हरियाणा का रुख कर रही है। प्रदेश में पिछले कई महीनों से चिकित्सा सुविधाओं को लेकर सवाल उठते रहे हैं।
विश्व विख्यात शक्तिपीठ श्री नैना देवी की बात करें तो ये अति संवेदनशील क्षेत्र है। लाखों श्रद्धालु और पर्यटक यहां आते हैं लेकिन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टर के 6 पद स्वीकृत है। कई महीनों से सभी 6 पद रिक्त चल रहे हैं। इसके अलावा झंडूता में डॉक्टर के पांच पद स्वीकृत है और पांचों पद रिक्त चल रहे हैं।
हालांकि पिछली कांग्रेस सरकार ने कई चिकित्सा संस्थान और भी खोलें जिनमें ना तो डॉक्टर है और ना ही नर्सिंग स्टाफ। स्वारघाट का ट्रामा सेंटर इसका एक उदाहरण है। जिस पर उद्घाटन के बाद आज भी ताला लटका है। अब जिला की जनता को राज्य में बनी बीजेपी सरकार से उम्मीद जगी है कि केंद्र और राज्य में बीजेपी की सरकार होने से स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार होगा।