शिमला नगर निगम चुनावों से पहले पानी का मुद्दा सुर्खियों में बनता जा रहा है। अब पानी की किल्लत के चलते होटल व्यवसायियों ने चिंता जताई है। व्यवसायियों को पानी की राशनिंग के चलते आने वाले समर सीजन पर इसका असर पड़ने का डर सताने लगा है। होटल व्यवसायी पहले ही 2 साल से कोरोना की मार झेल रहा है और अब शिमला जल निगम भी धरातल पर रोजाना नियमित पानी की सप्लाई देने मे भी विफल हो गया है।
व्यवसायियों का कहना है कि पानी की सप्लाई तीन या चार दिन बाद दी जा रही है। अभी तो टूरिस्ट सीजन शुरू भी नहीं हुआ है और होटलों में 30 से 40 फीसदी ऑक्यूपेंसी चल रही है।अभी से होटलों को टैंकरों से पानी लेना पड़ रहा है। सरकार ने अलग से जल प्रबंधन निगम इसीलिए बनाया था ताकि शिमला शहर को सचारू रूप से पानी की सप्लाई हो सके। लेकिन वही पुराने बहाने लगा कर की पंप काम नहीं कर रहे, बिजली की सप्लाई नहीं मिल रही , प्रेशर की समस्या आ रही है इसी तरह पानी की सप्लाई करने में असफल होता नजर आ रहा है।
उन्होंने कहा कि लोगों के मन में यह धारणा गलत है कि होटल वालों को अलग से कोई वाटर सप्लाई दी जाती है। होटलों को भी पानी तब आता है जब शहर के इलाकों में पानी की सप्लाई खुलती है। इससे विपरीत सच्याई ये है कि शिमला के होटल वावसायिओं से समूचे प्रदेश शहरों से 600 से 700 गुना पानी का रेट वसूला जाता है। उसके बावजूद भी शिमला जल प्रबंधन निगम पानी की रेगुलर सप्लाई देने में विफल हो रहा है। 2018 की शिमला की जल की किल्लत से भी जल निगम ने कोई सीख नहीं ली है। 2018 में भी शिमला का होटल व्यवसाय पानी की किल्लत के चलते बहुत बुरी तरह से प्रभावित हुआ था।
चार साल बीतने के बाद भी पानी की सथिति जीयूं की तियूं ही है। हाल ही में शहरी विकास मंत्री ने तुरंत पम्प और जनरेटर खरीदने के आदेश भी जल निगम को दिए थे ताकि शिमला की जल व्यवस्था को सुचारु बनाया जा सके। जल निगम को सुचारू करने के लिए तुरंत कदम उठाने चाहिए ताकि अप्रैल मध्य से शुरू होने वाले समर सीजन में शिमला के शहरवासियों और पर्यटकों को पानी की किल्लत न हो। होटल व्यवसायियों के लिए आने वाला समर सीजन बहुत अहम है क्योंकि पर्यटन व्यवसायियों को इसी सीजन से कुछ न कुछ आर्थिक तंगी से उभरने की आस है।